छत्तीसगढ़ शासन, सहकारिता विभाग
परिचय एवं उद्देश्य
राज्य की जनता विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सामाजिक उत्थान हेतु सहकारी संस्थाओं का गठन किया जाता है। विभाग की गतिविधियों का क्रियान्वयन सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। विभाग द्वारा सहकारी संस्थाओं का पंजीयन, निर्वाचन, अंकेक्षण, विवादों का निपटारा एवं परिसमापन का कार्य किया जाता है।
ऋण वितरण
कृषकों को इस त्रिस्तरीय व्यवस्था के माध्यम से अल्पकालीन कृषि ऋण ३ प्रतिशत ब्याज दर पर वर्ष २००८-०९ से ऋण वितरण करने वाला देश का प्रथम प्रदेश है। वर्ष २००८-०९ में ६,८५,११४ कृषकों को राशि रू. ७८६.८७ करोड़ का ऋण वितरण किया गया है जो वर्ष २०००-०१ की तुलना में चार गुणा से अधिक है। लाभान्वित कृषक भी वर्ष २०००-०१ की तुलना में २ गुणे से अधिक है।
वर्ष २००९-१० में कृषकों को ३ प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण् वितरण का रू.१३००.०० करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष २००९-१० से कृषि ऋण के अतिरिक्त अन्य कार्य, मत्स्य पालन एवं हार्टिकल्चर से संबंधित कार्य, परम्परागत गौ-पालन (डेयरी व्यवसाय) के लिये भी ३ प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा।
किसान क्रेडिट कार्ड
प्रदेश के कृषकों को सुलभ ऋण वितरण हेतु प्राथमिक सहकारी समितियों के द्वारा क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है। वर्ष २००८-०९ तक कुल ९१२६७० कृषकों को क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराकर रू. २१९५.४१ करोड़ की साख सीमा स्वीकृत की गई है। जारी क्रेडिट कार्ड वर्ष २०००-०१ की तुलना में सोलह गुणा से भी अधिक है। स्वीकृत साख सीमा छब्बीस गुणा से अधिक है।
ब्याज अनुदान
प्रदेश के कृषकों को ३ प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने हेतु सहकारी बैंकों एवं समितियों को ब्याज अनुदान दिया जाता है। वर्ष २००८-०९ में राज्य शासन द्वारा रू. ४०.०२ करोड़ ब्याज अनुदान दिया गया। वर्ष २००९-१० में ८ लाख कृषकों को ३ प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने हेतु बैंकों/समितियों हेतु रू. ४६.०० करोड बजट में प्रावधान किया है।
ऋण माफी
ऐसे कृषक सदस्य जिनको ३१.३.१९९७ से ३१.३.२००७ के मध्य ऋण वितरण किया गया हो तथा दिनांक ३१.१२.२००७ को ऋण कालातीत हो और २९.२.२००८ तक जिसका भुगतान नही होगा वे इस योजना के पात्र हैं । लघु एवं सीमांत कृषकों में मामले में संपूर्ण पात्र राशि की मांफी की जावेगी। प्रदेश में कुल २७०१०० कृषक सदस्यों को २०६.८६ करोड़ की ऋण माफी लाभ प्राप्त होगा। इन योजनाओं में भारत सरकार से अब तक रू. २०६.८६ करोड के विरूद्ध अब तक की राशि रू. १४४.०२ करोड प्राप्त हो चुकी है। भारत सरकार से प्राप्त राशि संबंधित कृषकों को ऋण खाते में समायोजित होगी। ऋण माफी की शेष राशि रू. ६२.८४ करोड़ आगामी दो वर्षो में भारत सरकार से प्राप्त होगी।
ऋण राहत
लघु एवं सीमांत कृषकों के अतिरिक्त अन्य कृषकों के मामले में एक बारगी निपटान योजना (ओ.टी.एस.) है। इस योजना में किसानों को इस शर्त के अधीन पात्र राशि में २५ प्रतिशत की छूट दी जावेगी कि वह पात्र राशि के शेष ७५ प्रतिशत का भुगतान कर दें। प्रदेश में ८ जिले क्रमशः बस्तर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, दुर्ग, जांजगीर, चांपा, कबीरधाम, कोरबा, एवं राजनांदगांव के अन्य किसानों के मामले ऋण राहत पात्र राशि के २५ प्रतिशत या ऋण २०,०००/- इससे जो भी अधिक हो की छूट होगी यदि किसान शेष पात्र राशि का भुगतान कर दे ७५ प्रतिशत ऋण राशि की अदायगी कृषकों द्वारा ३ किस्तों में ३०.९.२००८, ३१.३.२००९ और ३०.६.२००९ में अदा करने की दशा में ही ऋण राहत की पात्रता होगी। प्रदेश में कुल ४७६०१ कृषक सदस्यों को राशि ऋण ७०.५७ करोड़ का लाभ ऋण राहत योजना के अंतर्गत होगा।
अल्पकालीन कृषि सहकारी साख संरचना के सुदृढ़ीकरण हेतु प्रो. वैद्यनाथन पैकेज
अल्पकालीन साख संरचना के पुनरूत्थान हेतु प्रो. ए. वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसाए लागू करने हेतु राज्य शासन, नाबार्ड एवं केन्द्र शासन के मध्य दिनांक २५.०९.२००७ को समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। इस योजना के तहत् प्रदेश के १३३३ प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां एवं ६ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों को आर्थिक सहायता दी जावेगी। प्रथम चरण में प्राथमिक कृषि साख समितियों का विशेष अंकेक्षण नाबार्ड के मार्गदर्शन में कर उनको उपलब्ध कराई जाने वाली राशि का आंकलन किया गया।
उक्त समितियों में से ऐसी १०४३ समितियां जिनकी ऋण वसूली जून २००७ की स्थिति में ५०% है
उपरोक्तानुसार अब तक प्रथम चरण में समितियों को केन्द्र शासन से अपने हिस्से की ७५% राशि रू. १६२.१९ करोड़ एवं राज्य शासन के द्वारा ३१.४३ करोड की सहायता उपलब्ध करा दी गई है। आगामी वित्तीय वर्ष २००९-१० में राज्य शासन द्वारा इस योजना हेतु रू. ५०.०० करोड का प्रावधान किया गया है। उक्त योजना का क्रियान्वयन की कार्यवाही नाबार्ड के मार्गदर्शन में की जा रही है।
दीर्घकालीन कृषि ऋण वितरण
राज्य के कृषको को ५ वर्ष से १५ वर्ष की कालावधि के लिये ऋण दिया जाता है। बैंक द्वारा कृषकों को (१) लघु सिंचाई - नलकूप, पंप, बोर खनन आदि, (२) प्रक्षेत्र नवीनीकरण- टे्रक्टर, हार्वेस्टर, पावर टिलर, पावर रिपर, प्रेसर (३) अन्य विविधीकृत-मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, डेयरी, वानिकी, फलोद्यान (४) अकृषि ऋण- कुटीर उद्योग, सड़क वाहन, बढ ई, कपडा, लोहारी, आदि कार्य हेतु ऋण दिया जाता है।
बैंक द्वारा वर्ष २००८-०९ हेतु रु. १७००.०० लाख के लक्ष्य के विरूद्ध रू. १६८२.७८ लाख का ऋण वितरण किया गया।
सहकारी समितियों द्वारा किये जा रहे अन्य कार्य
(प) छ.ग. राज्य सहकारी विपणन संघ द्वारा वर्ष २००८-०९ में समर्थन मूल्य पर १३३३ प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से ३७.६९ लाख मे.टन धान का उपार्जन किया गया । धान खरीदी केन्द्रों को पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत किया गया है।
(पप) छ.ग. राज्य सहकारी विपणन संघ द्वारा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को रासायनिक उर्वरकों का वितरण किया जाता है। वर्ष २००८-०९ में ४८४३६० में. टन खाद का वितरण किया गया।
राज्य के सहकारी शक्कर कारखाने
राज्य का प्रथम सहकारी शक्कर कारखाना जिला कबीरधाम में संचालित है। इसकी क्षमता २५०० टी.सी.डी. है। इस कारखाने द्वारा वर्ष २००८-०९ में १५०४२५ में. टन गन्ना की पेराई की गई, जिससें १२७०६० क्विं. शक्कर का उत्पादन हुआ ।
राज्य का द्वितीय सहकारी शक्कर कारखाना बालोद जिला दुर्ग में राशि रू. ४८.५० करोड़ की लागत से १२५० टी.सी.डी. क्षमता का निर्माण पूर्णता पर है।
तीसरा सहकारी शक्कर कारखाना जिला अंबिकापुर में २५०० टी.सी.डी. क्षमता का राशि रू. १०५.६९ करोड की लागत से निर्माणाधीन है।
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