अपना मध्यप्रदेश-मेरा मध्यप्रदेश
श्री शिवराजसिंह चौहान
माननीय मुखयमंत्री, मध्यप्रदेश्
हमारी ओर से शान्तिमय तथा समृद्धशाली नववर्ष २००९ की शुभकामनाएं स्वीकार करें।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
आज तक आपके राज्य में सहकारिता के क्षेत्र में क्या प्रगति हुई है?
सहकारिता के क्षेत्र में हम तेजी से आगे बढ रहे हैं। पांच सालों में पचास सालों की जो अराजकता है, भ्रष्टाचार है, एकाधिकारवाद था, राजनीति थी उसे समाप्त करना कठिन था लेकिन हमने यह कर दिखाया । आज प्रदेश का सहकारिता आंदोलन राजनीति, एकाधिकारवाद से न केवल मुक्त है बल्कि स्वच्छ, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के जरिए प्रदेश में सहकारिता की कमान उन लोगों के हाथों में है जो सहकारी आंदोलन के प्रति समर्पित है। सहकारिता अधिनियम में संशोधन कर हमने अब यह तय किया है कि कोई भी विधायक, सांसद, स्थानीय निकायों का पदाधिकारी, सहकारी संस्थाओं का पदाधिकारी नहीं रह सकेगा । इस निर्णय से सहकारी आंदोलन राजनीति से मुक्त हुआ है। हमने यह भी तय किया है कि सहकारी संस्थाओं का कोई भी पदाधिकारी दो कार्यकाल से अधिक सहकारी संस्थाओं का पदाधिकारी नहीं बन सकेगा। इस निर्णय से हमने सहकारी क्षेत्र को एकाधिकारवाद से मुक्त किया है। सहकारिता क्षेत्र में पिछले पांच साल में भ्रष्टाचार और अराजकता के वातावरण से मुक्ति का परिणाम यह निकला है कि आज प्रदेश के अधिकांश सहकारी एवं शीर्ष सहकारी संस्थाएं और बैंक वर्षों के घाटे से उबरकर लाभ की स्थिति में पहुंच गए हैं। मैंने पहले ही कहा कि अभी यह प्रगति पूरी नहीं है, हमारा लक्ष्य सहकारिता के माध्यम से समाज के सबसे अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति तक पहुंचना और उसका सर्वांगीण विकास करना है ।
जहां तक सहकारी क्षे़त्र के आच्छादन क सवाल है आज प्रदेश के ८० प्रतिशत ग्रामीण कृषक परिवार इससे जुडे हैं। हर दूसरा परिवार और पांचवां व्यक्ति सहकारिता से जुडा है। वर्ष १९५६-५७ में प्रदेश के गठन के समय प्रदेश के लगभग ४८.५० प्रतिशत ग्राम सहकारिता से जुडे थे वहीं आज शत प्रतिशत गांव सहकारी क्षेत्र से जुड गए हैं।
आपके विचार से राज्य के आर्थिक विकास में सहकारिता क्षेत्र क्या भूमिका अदा कर सकता है?
मेरा मानना है कि प्रदेश के आर्थिक विकास में सहकारिता आंदोलन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है । यही वह माध्यम है जिसकी गतिविधि और संरचना ऊपर से नहीं नीचे से शुरू होती है। इसके लिए थोड े से प्रयासों की जरूरत है। हमने पिछले कार्यकाल में कृषकों को ५ प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराया। यह ऋण पहले उन्हें १५-१६ प्रतिशत पर मिलता था। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था। इसके लिये राज्य शासन ने अपने बजट में प्रावधान किया है। इसी तरह अब हम आगे यह ब्याज दर ३ प्रतिशत करने जा रहे है । इससे प्रदेश में कृषि उत्पादन बढा। इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद अब तक की सर्वाधिक २४ मूल्य पर अधिक बोनस देकर की। इसके अलावा पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य उत्पादन जैसी सहकारी क्षेत्र की वे गतिविधियां हैं जो जाहिर तौर पर प्रदेश के लोगों के आर्थिक हालत में व्यापक परिवर्तन लायेंगी।.
मध्यप्रदेश में हमने नए सिरे से मिले जनादेश के बाद प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने के लिए सात सर्वोच्च प्राथमिकताएं तय की हैं। इनमें से एक है खेती को लाभदायी बनाना। सहकारी क्षेत्र इस प्राथमिकता की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण घटक होगा। उत्पादन लागत को कम कर और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने में सहकारी क्षेत्र बड़ा कारगर होगा!
राज्य में सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए आपने क्या योजनाऐं और कार्यक्रम तैयार किए हैं?
प्रदेश में सहकारिता के विकास के लिए सहकारिता की हर गतिविधि को निचले स्तर तक पहुंचाया जा रहा है । समाज के अंतिम व्यक्ति तक सहकारिता पहुंचे इसके लिए सहकारी साख आन्दोलन को सुदृढ और आज की तकनीक से जोडा जा रहा है। वित्तीय समावेशन (फायनेंशल इन्क्लूजन) के माध्यम से गा्मीण क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति तक घर-पहुंच सेवा का लक्ष्य आरै इसके लिए सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग शुरू करने क लिए अघोसंरचना का विकास किया जा रहा ह।
आपके प्रदेश में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सहकारिता किस प्रकार सहायक हो सकती है ?
समाज के वंचित वर्ग तक योजनाओं, कार्यक्रमों का लाभ पहुंचे। उनके कल्याण की गतिविधियों का लाभ उन्हें मिले इसके लिए सहकारी आंदोलन के जरिए हमने बिचौलियों की भूमिका समाप्त की है। उत्पादक और उपभोक्ता को सीधे जोड़ा है
इससे निश्चित ही दोनो लाभान्वित होंगे। सहकारी साख संरचना के साथ ही हथकरघा, कुटीर उद्योग, दुग्ध उत्पादन तथा सहकारी उपभोक्ता आंदोलन के माध्यम से अब तक जिन आर्थिक क्षेत्रों म सहकारी आंदोलन नहीं पहुंचा वहां तक उसकी पहुंच सुनिश्चित कराई है ।
अर्थव्यवस्था के अभी तक अछूते रहे क्षेत्रों में सहकारिता किस तरह महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है?
दरअसल सहकारिता ही वह माध्यम है जिससे हम समाज के कमजोर वर्ग को जीने का हक सही अर्थों में दिला सकते हैं। उनका आर्थिक उत्थान कर सकते हैं। स्वतंत्रता के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दूर वित्तीय सहायता पहुंचाने के लिए सहकारी आंदोलन की शुरूआत की गई जो किसी विचारधारा के पिंजरे में कैद नहीं थी। उसकी केवल एक ही भावना थी वह थी सहकार भावना। सहकारिता एक ऐसा आदर्श जरिया है जिससे हम समाज के सबसे जरूरतमंद और वंचित वर्ग तक संवाद बनाते है। उसकी व्यवहारिक और बुनियादी जरूरतों को पहचान कर हम उसकी आर्थिक प्रगति का जरिया बनते हैं इसलिए समाज के सर्वांगीण विकास के लिए सहकारिता आंदोलन बहुत जरूरी है। बिना सहकार नहीं उद्धार-की उक्ति हमारे यहां युगों से है। अकेले और फिर गरीब व्यक्ति का उद्धार नहीं हो सकता। सामूहिकता में ताकत और निगरानी दोनों निहित है। सामूहिकता ही आज की दशा में सहकारिता है और सबके उत्थान की आदर्श संभावना भी।
क्या आप सोचते हैं कि पिछडे़, अल्पसंखयक तथा अनुसूचित जनजाति वर्गों के आर्थिक विकास में सहकारिता आंदोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है?
हम मध्यप्रदेश में हर वंचित वर्ग का सहकारिता आंदोलन से जोड़ रहे हैं ताकि उसका उत्थान हो सके। इसके लिए बडी संखया में उन्हें सहकारी समितियों का सदस्य बनाया जा रहा है। स्व-सहायता समूहों के जरिए भी हमने प्रयास कर पूरे प्रदेश में आर्थिक विकास की एक नई आधारभूत संरचना स्थापित की है। कुटीर उद्योगों, हाथकरघा सहित छोटे-छोटे व्यवसायों के उत्पाद के विपणन की एक रणनीति बनाई गई है ताकि उनके उत्पादों को बाजार मिल सके। किसानों को सस्ते ब्याज दर पर ऋण मिले उन्हें अन्य व्यवसायों के लिए भी कम ब्याज पर ऋण मिले, इसके प्रयास हम कर रहे हैं ताकि प्रदेश का हर व्यक्ति खुशहाल हो सके।
आई.सी.डी.पी. (इंटीग्रेटेड कॉपरेटिव डेवलपमेंट प्रोग्राम) के अंतर्गत आपके प्रदेश में क्या गतिविधियां चल रहीं हैं?
एकीकृत सहकारी विकास (आई.सी.डी.पी.) की पंद्रह परियोजना हमारे प्रदेश में चल रही हैं। परियोजनाओं के लिए १८४ करोड की राशि स्वीकृत है। बारह परियोजनाए भारत सरकार के समक्ष स्वीकृति के लिए लंबित है। इन परियोजनाओं के जरिए हम प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के लिए अधोसरंचना का विकास कर रहे हैं। इसके साथ ही सहकारी व्यवसाय में वृद्धि के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करा रहे हैं। कमजोर वर्ग के लोगों को संगठित कर उनके व्यवसाय तथा आय में वृद्धि इस परियोजना से सुनिश्चित हो रही है । सागर जिला जहां बीड़ी का बडा उद्योग है, यहां बीडी मजदूरों को स्वयं बीडी निर्माण से जोड कर उन्हें सीधे बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास भी किया गया है। इस तरह के प्रयास पूरे प्रदेश में इन परियोजनाओं के माध्यम से किए जा रहे हैं।
क्या आपके राज्य में वैद्यनाथन समिति की सिफारिच्चें लागू कर दी गई हैं? यदि हाँ, तो इससे राज्य को किस तरह का लाभ हुआ है? यदि नहीं लागू की गईं तो, इसके रास्ते की रुकावटें क्या हैं?
प्रो. वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इसकी सिफारिशों को न केवल लागू करने में हमने सहमति प्रदान की बल्कि भारत सरकार से सबसे पहले हमने ही एम०ओ०यू० साइन किया । वै्द्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप हमने अपने सहकारिता अधिनियम में संशोधन भी किया है। प्रो. वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू होने के बाद प्रदेश की सहकारी साख सरंचना को व्यवसायिक स्वतंत्रता मिली है। सहकारिता आंदोलन अनावश्यक शासकीय नियंत्रण से मुक्त हआ है। प्रो. वैद्यनाथन पैकेज के तहत प्रदेश को लगभग ७०० करोड़ रूपये की सहायता मिली है जिसे २०९४ सहकारी साख सरंचना संस्थाओं को भी प्रदान किया जा चुका है। इस वर्ष के अंत तक ६०० करोड रूपये की सहायता मिलने का अनुमान है। प्रा वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार प्रदेश को १७९७ करोड रूपये की कुल मदद प्राप्त होगी। मध्यप्रदेश में वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने में कोई रूकावट नहीं है।
प्रदेश की जनता को आप क्या संदेश देना चाहते हैं।
सहकारिता से प्रदेश की जनता अधिक से अधिक जुड़े लोगों की भावना सहकार की हो, अपने से छोटे और गरीब वर्ग को उपर लाने, उन्हें बराबरी पर खडा करने की भावना हो, यही मेरी सबसे अपील है। मेरा प्रयास होगा कि प्रदेश की जनता के श्रम का समुचित उपयोग कर उन्हें अधिकाधिक आय अजिर्त करा सकूं आरै प्रदेशों के आथि उत्थान में उनकी भागीदारी सुनश्चित करा सकूं ।
मेरा मानना है कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश का मेरा सपना तब तक साकार नहीं हो सकता जब तक उसमें समाज की सहभागिता न हो। सब अपने-अपने कर्मक्षेत्र में ईमानदारी से अपने कर्त्तव्यों का पालन कर इस बडे काम में मदद कर सकते हैं। एक बात और कि मध्यप्रदेश के लोगों को किन्हीं और अर्थों में नहीं परन्तु प्रदेश के विकास और जन-कल्याण के कामों की दृष्टि से ''अपना मध्यप्रदेश-मेरा मध्यप्रदेश'' का स्थायी भाव जागृत करना होगा।
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