Thursday, June 16, 2011

सहकारिता के माध्यम से निम्नतम आयवर्ग की महिलाओं का आर्थिक विकास

सहकारिता के माध्यम से निम्नतम
आयवर्ग की महिलाओं का आर्थिक विकास


निम्नतम आय वर्ग की महिलाओं को सहकारिता के माध्यम से सच्चक्त बनाने की दिशा में हमारा यह पहला प्रयास है जो केन्द्र से लेकर देश के अन्य राज्यों में भी फैलेगा। महिला सशक्तिकरण की इस राष्ट्रीय कार्यशाला में आज हम उन महिलाओं के आर्थिक उत्थान व सामाजिक सशक्तता के बारे में चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए हैं, जिन महिलाओं की आय निम्नतम है। समाज की ऐसी महिलाओं को किस तरह मजबूत बनाया जाए, उनको सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक संरचनाओं से जोड़ा जाए इसके बारे में आज हमें सोचना है।

आज महिलाओं को सामाजिक क्षेत्र में आगे आने की जरूरत है, आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए महिलाओं को संगठित रूप से आगे आना होगा। जब माँ, बहनें शिक्षित होंगी तो पूरा परिवार शिक्षित होगा जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा। सहकारिता, लोकतंत्र का विद्यालय है, इस दिशा में महिलाओं को आगे आने की आवश्यकता है। जो हमारा संघीय और लोकतांत्रिक ढांचा है उसमें महिलाओं को मजबूती के साथ आगे आना होगा।

इस दिशा में आज तक सार्थक प्रयास विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों की महिलाएं करती आयी हैं पर आज इसको और आगे ले जाने की आवश्यकता है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन में महिलाओं को ३३ प्रतिशत भागीदारी देकर एक इतिहास बनाया है। उस इतिहास को भविष्य की नीतियों के साथ परिवर्तित करके हमें आगे बढ़ाना होगा।

आज इस देश में महिलाओं को उन महिलाओं के बारे में सोचना होगा जो इस देश की आबादी में सबसे ज्यादा हैं। उनको अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए हमारी उन बहनों को आगे आना होगा जो समर्पित भाव से इनके बीच में काम करने की इच्छा रखती हों। आपको इनके बीच में ही, इनके समाज में ही, उन महिलाओं को चिन्हित करना होगा जो इनके लिए काम करना चाहती हैं। आपको पूर्णकालिक बनकर आगे आना होगा।

मैं विशेष रूप से बहनों का इस कार्यशाला के माध्यम से आह्वान करता हूँ कि वे आगे आएं। उनके आर्थिक खर्चों के लिए सहकारिता प्रकोष्ठ प्रयत्न करेगा, पूरे देश में इस प्रकार के प्रशिक्षण की योजना बनाई जा रही है। पूरी तरह से महिलाएं शिक्षित और समृद्ध तभी हो पाएंगी जब हम इनके लिए सार्थक प्रयास करेंगे।

आज स्वयं सहायता समूहों की समाज के प्रत्येक क्षेत्र में अनिवार्यता और अपरिहार्यता बढी है, उन स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अभी तक जो लाभ मिलता आया है आज उसे द्विगुणित ही नहीं कई गुना करने की आवश्यकता है। ऐसे फेडरल समूहों, संगठनों, सहकारी समितियों का निर्माण करना है जो इनको अपने साथ जोड कर इनका आर्थिक उत्थान कर सकें। इसके बारे में सहकार भारती के मदन गुप्ता जी व सेवा केन्द्र की जयश्री व्यास जी आपसे विस्तार से चर्चा करेंगें।

प्रदेश के हर जिले, ग्रामीण स्तर, शहरों के वार्ड स्तर तथा विधान सभाओं तक ऐसी ही प्रशिक्षिण कार्यशालाएं आपके सहयोग से आयोजित होनी हैं, जहाँ-जहाँ हमारी सरकारें हैं वहाँ सरकारी खर्चे पर इस प्रकार के आयोजन करने हैं। यह बहनों का कार्य है और बहनों की भालाई के लिए बहनों को ही आगे आना होगा। जड़ को मजबूत करना होगा। इसमें पूर्णकालिक महिला कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी लेनी होगी।

सहकारिता का इस प्रकार का प्रशिक्षिण समाज के अन्य क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, चाइल्ड केयर, परिवारों का आपसी सामंजस्य, सामाजिक और आर्थिक सुदृढता आदि विषयों पर आधारित होगा। विशेष रूप से चिकित्सा और शिक्षा की सेवाएं आज महंगी होने के कारण सबको प्राप्त नहीं हो रही हैं और ग्रामीण स्तर पर इनका नितांत अभाव है। जो सुविधाएं हैं वह भी मिलती नहीं हैं। हम ऐसे लक्ष्य को लेकर आगे बढ रहे हैं। यह हमारा मिशन होगा।

KVIC और IRD की कई योजनाएं ऐसी हैं जिसमें महिलाओं को ५० प्रतिशत की ग्रांट और सब्सिडी मिलती है। आपके क्षेत्र में रहने वाली निम्नतम आयवर्ग की महिलाओं के बीच में ऐसे उद्योग स्थापित करने की योजना है। जहाँ तक सहकारिता में महिलाओं के आरक्षण की बात है तो अनेक सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में प्रबंधकीय बोर्ड में आरक्षण दिया है। प. बंगाल, गुजरात, तमिलनाडु, केरल में 3%, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में बोर्ड में एक सदस्य तथा उड़ीसा आदि राज्यों में पति-पत्नी की संयुक्त सदस्यता का प्रावधान किया गया है। यह अभी काफी कम है। कई राज्यों में महिला सहकार बाजार, महिलाओं के हाथों से बनी वस्तुओं की प्रदर्शनी, इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं का बाजार, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। सहकारिता के माध्यम से अल्प, निम्नतम आय वर्ग की महिलाएँ स्वयं संगठित होकर आगे बढ रही हैं। कुछ रुकावटें हैं, पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा को संकल्प के साथ चुनौती के रूप में महिलाओं को लेना होगा। इसी के लिए हमारी बहनों का आगे आना होगा। परिवर्तन हो रहा है, कुछ व्यावहारिक और नियमों, कानूनों की कठिनाइयाँ हैं जिनमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

इस कार्यशाला में जिन लोगों को आपको आमंत्रित करने के लिए कहा गया था उनसे अनुरोध किया गया था कि इसमें उन्हीं बहनों को आमंत्रित किया जाय जो इस क्षेत्र में रुचि रखती हों तथा काम करने के लिए तैयार हों। इसमें संखया में भले ही कम हों लेकिन समर्पित भाव से काम करने वाली बहनें हों। आप ही बहनों को उन बहनों के लिए सोचना है। क्रांति की दिशा में यह पहला कदम है- मुझे विश्वास है कि आपके सहयोग से यह क्रांति आगे बढ़ेगी और समाज की वह महिला जो निम्नतम आय वर्ग की है उसका सहकारिता के माध्यम से आर्थिक उत्थान होगा। पं. दीनदयाल उपाध्याय के ''एकात्म मानववाद'' का सपना साकार करने की दिच्चा में यह सार्थक कदम होगा।

आपको अपना समय उनके लिए, उनके बीच में निकालना होगा। ऐसी बहनें जो दिल से इनकी भलाई के लिए आगे आना चाहती हों, उनका स्वागत है। आप सबको यहां आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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