Monday, July 25, 2011

स्वदेशी एवं सहकारिता

स्वदेशी एवं सहकारिता

महात्मा गाँधी के राजनैतिक विचारों में सहकार एवं स्वदेशी का विचार काफी महत्वपूर्ण है। वे इस स्वदेशी विचार का उपयोग जीवन के हर पक्ष में करते रहे, केवल सामाजिक तथा राजनैतिक पक्ष में ही नहीं बल्कि आर्थिक पक्ष में भी। वास्तव में भारत की आर्थिक उन्नति के लिये दृष्टि का स्वावलम्बी बनना उन्हें आवश्यक प्रतीत होता रहा जो केवल स्वदेशी वस्तुओं के भारत में उपयोग से ही सम्भव था। उन्होंने स्वदेशी को असहयोग आन्दोलन का एक अभिन्न अंग बनाया।

स्वराज्य, स्वदेशी तथा स्वावलम्बन समानार्थक हैं। स्वदेशी देश की आत्मा का धर्म है। स्वदेशी की शुद्ध सेवा करने से परदेसी की भी शुद्ध सेवा हो जाती है। सहकार इसका मूल है।

'स्वदेशी' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'अपने देश का'। गाँधी जी भी 'स्वदेशी' शब्द का यही मूलार्थ लेते हैं। उनके अनुसार इस शब्द का भावात्मक अर्थ भी है तथा निषेधात्मक भी। भावात्मक दृष्टि से यह एक राजनैतिक तथा आर्थिक सिद्धान्त प्रस्तुत करता है जो राष्ट्रीय आधार बन जाता है किन्तु निषेधात्मक रूप में यह अन्तर्राष्ट्रीयता का एक अर्थपूर्ण आधार प्रदर्शित करता है। गाँधी जी का कहना है कि 'स्वदेशी' धर्म का पालन करने वाला परदेसी से कभी द्वेष नहीं करेगा'।

गाँधी जी का स्वदेशी विचार सहकारिता से परिपूर्ण अहिंसा का ही एक रूप है। हमारा लक्ष्य गाँवों को संगठित करना व उन्हें अधिक सुखी, सम्पन्न व आरोग्यपूर्ण जीवन प्रदान करना है इसलिए प्रत्येक ग्रामवासी को इकाई व व्यक्ति दोनों रूपों में विकास के अवसर प्रदान करना है। इसके लिए सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक सभी क्षेत्रों में सहकारी प्रयत्नों की आवश्यकता है।

स्वावलम्बन के लिये स्थानीय योजना केवल स्थान विशेष के लिए लाभदायक न होकर, प्रमुख योजना में समन्वित होनी चाहिए। देश की कोई भी योजना यदि जनता की प्राथमिक आवश्कताओं की उपेक्षा करके बनायी जायेगी, मानव शक्ति का ध्यान नहीं रखा जायेगा या पूँजी के अभाव की उपेक्षा की जायेगी तब सफलता प्राप्त करना सम्भव नहीं है।

गाँधी जी की सहकार भावना से युक्त योजना आज के सन्दर्भ में प्रासंगिक तो है ही, साथ ही व्यवहारिक भी है क्योंकि यह वर्तमान अर्थपीड़ित विश्व को ऐसी आर्थिक व्यवस्था प्रदान करती है जो शान्ति, प्रजातन्त्र व मानवीय मूल्यों पर आधारित है। उनकी योजना सर्वाधिक प्रभावशाली, मौलिक व व्यवहार योग्य है। आज तक किसी भी देश में बेरोजगारी के निवारण के लिए ऐसी योजना नहीं बनाई गई है। गाँधी जी ग्रामद्योगों के विकास के लिए विज्ञान व तकनीक के प्रयोग के विरूद्व नहीं थे, यद्यपि वे स्वचालन के विरूद्ध थे क्योंकि भारत जैसे देश में उसकी कोई उपयोगिता नही है।

गाँधी जी मानव की गरिमा में विश्वास करते थे तथा प्रत्येक व्यक्ति को दिव्य मानते थे। गाँधी जी ने गाँवों का नगरों द्वारा शोषण देखा व गाँवों व नगरों के मध्य बढ़ती हुई खाई को भी देखा और समझा। अतः उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास सार्वधिक स्वभाविक विकास है। ग्राम पुनः निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। विकास नीचे से ही प्रारम्भ किया जाए, परन्तु इसका अर्थ यह नही है कि ऊपर से कुछ किया ही न जाए। विकास के लिए रचनात्मक कार्यक्रम जन-सहभागिता व सहकारिता के माध्यम से हो सकता है। भारत जैसे देश के वास्तविक नियोजन में सम्पूर्ण मानव शक्ति व कच्चे माल का ग्रामों में उचित वितरण करना है। कच्चे माल को विदेश में भेजना व तैयार माल ऊँची कीमत पर खरीदना हमारे लिए केवल आत्मघाती ही प्रमाणित होगा।

उनके अनुसार बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियाँ ग्राम में उत्पादन, वितरण व विपणन के लिए कार्य करेंगी तथा बीज, खाद, कृषि उपकरण आदि उपलब्ध कराकर जनता व सरकार के मध्य कड़ी के रूप में कार्य करेंगी। सहकारी समितियाँ सभी ग्रामोद्योगों को प्रोत्साहित कर, ग्राम के पुनर्निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य कर सकती हैं। केन्द्रीकृत उद्योग केवल वही होंगे, जिनके अलावा राष्ट्र के समक्ष कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। इस प्रकार स्पष्ट है कि केवल गाँधीवादी नियोजन ही, जिसमें सहकारिता, स्वदेशी और स्वावलम्बन की प्रधानता हो ग्रामीण भारत के लिये एकमात्र विकल्प है।

सदी का समस्त जन-समाज और मानव संस्कृति निरे जंगलीपन की तरफ बहकर भंयकर संकटों में फँसने से बच जाए और २१वीं सदी में अच्छी तरह प्रवेश करे।

इस प्रकार गाँधी जी का विचार पूरी तरह व्यवहारिक है। गाँधी जी की व्यवस्था में बिचौलियों के लिए कोई स्थान नहीं है।

अतः संक्षेप में हम कह सकते हैं कि विद्यमान सभी व्यवस्थाओं - पूँजीवादी व साम्यवादी से गाँववासी जीवन शैली अधिक श्रेष्ठ है। यह श्रेष्ठ ही नहीं अपितु व्यावहारिक भी है। केवल इसके लिए पूरे हृदय से एकजुट होकर सहकार की भावना से प्रयत्न करने की आवश्यकता है।

Friday, July 22, 2011

किसान कल्याण समिति

खेतीबाड़ी उत्पन्न बाजार समिति, अहमदाबाद

खेतीबाड़ी उत्पन्न बाजार समिति, अहमदाबाद में प्रतिदिन लगभग २०००० क्विंटल शाकभाजी एवं पूरे वर्ष में लगभग ६९,५१,००० क्विंटल शाकभाजी क्रय-विक्रय के लिये आती है। मार्केट में जगह की कमीं पडने के कारण समिति द्वारा शहर के बाहर जेतलपुर में ८०००० वर्ग गज जमीन २८ करोड रूपये में लेकर भवन निर्माण किया गया। दिनांक २४.०६.२००६ को मुखयमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के कर कमलों से मार्केट यार्ड का उद्घाटन किया गया। वर्तमान में यहां धान, गहूँ, अनाज का कार्य सफलतापूर्वक चल रहा है एवं इसके साथ शाकभाजी एवं अनाज का प्रोसेसिंग प्लांट से लेकर धुलाई, सफाई, लघु आकार देना एवं पैकिंग के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से युक्त अन्य उपकरण लगाये गये हैं, जिसका कृषक एवं व्यापारी वर्ग पूर्ण लाभ ले रहा है।

इस मार्केट यार्ड को राज्य सरकार ने आदर्श बाजार स्वीकार कर २.५० करोड़ रूपयों की सब्सिडी दी है। संस्था इसके लिए राज्य सरकार का हार्दिक आभार व्यक्त करती है।

किसान कल्याण समिति सितम्बर २००४ में पदभार संभालने वाली नई बाजार समिति के नव निर्वाचित अध्यक्ष श्री बाबूभाई जमनादास पटेल ने अभूतपूर्व कार्य करके किसान कल्याण समिति की स्थापना की। जिसमें समिति ने मार्केट की बचत में से १०% रकम राशि को रिजर्व फण्ड बनाकर वार्षिक रूपया एक करोड तक किसान कल्याण फण्ड जमा किया। इस फण्ड द्वारा किसानों के लिये सामूहिक बीमा योजना, अकस्मात् मृत्यु सहायता, कृषि कार्य में वैज्ञानिक पद्धतियों के उपयोग के लिये सहायता, औजार सुधारने के लिए सहायता तथा अन्य कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इसके पश्चात्‌ नेशनल हाईवे तथा स्टेट हाईवे पर दसक्रोई तालुका के ग्रामों में ग्राम पंचायतों द्वारा प्रस्ताव करके ४९% जनभागीदारी देने पर बाजार समिति द्वारा शेष ५१% की सहायता कर कलात्मक प्रवेश द्वार बनायेगी। यह कार्य लगभग १० ग्रॉम पंचायतों द्वारा पूरा किया जा चुका है।

भविष्य में A.P.M.C. द्वारा एक विश्व स्तर का मार्केट का निर्माण करने की योजना के लिये समिति ने ६ लाख वर्ग गज जमीन खरीदी है। उस जमीन पर सब्जी, आलू प्याज एवं फूल मार्केट, अलग-अलग क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त जैसे शीत भण्डार (कोल्ड स्टोरेज), मिनी थियेटर (लघु सिनेमाघर), शॉपिंग माल, स्वीमिंगपूल का निर्माण कर २५० से ३०० करोड़ तक व्यय करने की योजना है।
जय किसान-जय सहकार-जय विज्ञान

सहकारिता के चुनाव

सहकारिता के चुनाव

सहकारी संस्थाओं में आज दिग्गज वर्ग हावी है। आम जनता में सहकारिता के प्रति रुचि तो बढ़ी है, पर सहकारिता के विषय में उनका ज्ञान कम है। सहकारी संस्थाओं के चुनाव नजदीक आते ही एक विशेष वर्ग इन चुनावों में सक्रिय हो जाता है।

बहुत से राज्यों में सहकारिता की स्थिति ऐसी नहीं है। उन्होंने सहकारिता के माध्यम से प्रगति के सोपान तय किये हैं। आम जनता को भी सहकारी कानूनों, विधियों एवं पद्धतियों का ज्ञान कराना जरूरी है। सहकारिता के चुनावों में सभी सदस्यों की भागीदारी हो इसके लिय निम्न बिन्दु उपयोगी हो सकते हैं :-

१. सहकारिता से जुड़े लोगों के लिए अल्प अवधि का प्रशिक्षण सहकारी विभाग द्वारा दिये जाने की व्यवस्था अभियान के रूप में करनी चाहिए। विशेष कर सहकारी संस्थाओं के निर्वाचन से ६ माह पूर्व यह व्यवस्था प्रत्येक ऐसे केन्द्र के पास की जाय जहां सहकारी संस्थायें अधिक संखया में कार्यरत हैं।

२. प्रशिक्षण में चुनाव प्रक्रिया की जानकारी सदस्यों को दी जाय जिससे उनकी भागीदारी निश्चित रूप से हो सके।

३. आज भी सहकारिता के चुनाव का समय नजदीक आने या निर्वाचन की घोषणा होने पर भी उसकी पद्धति की जानकारी सदस्यों को नहीं होती। यह खाई पाटने की आवश्यकता है। चुनाव लड़ने के लिए किस प्रक्रिया को अपनाना है यह सम्बन्धित व्यक्ति को प्रशिक्षण में जानकारी दी जानी चाहिए।

४. सहकारिता के निर्वाचन के लिये अलग से निर्वाचन अधिकारियों का पैनल राज्य सरकारें घोषित करें, जो निष्पक्ष हो एवं सहकारिता से न जुडा हो।

५. चुनाव के समय शासकीय हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

६. निर्वाचन तिथि की घोषणा के ३ माह पूर्व सहकारी संस्थाओं पर यह प्रतिबन्ध होना चाहिए कि वह चुनाव समाप्त होने तक संस्था के किसी नियम अथवा उसके विधान में परिवर्तन न करें। शासन भी इस बीच कोई नया नियम या संस्था का विधान परिवर्तन स्वीकृत न करे।

७. सहकारी संस्थाओं के चुनावों में पूर्ण पारदर्शिता एवं लोकतन्त्रीकरण की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिये।

खेतीबाड़ी उत्पन्न बाजार समिति, अहमदाबाद

खेतीबाड़ी उत्पन्न बाजार समिति, अहमदाबाद

खेतीबाड़ी उत्पन्न बाजार समिति (Agriculture Produce Marketing Society) अहमदाबाद पूरे भारत में सब्जीभाजी के नियंत्रित बाजार में अग्रिम स्थान रखती है। सन् १९४२-४४ में अहमदाबाद के राजनगर बाजार में सब्जीभाजी का व्यापार पूरी तरह दलालों के हाथ में था। ये दलाल अपनी इच्छानुसार भाव निश्चित करते थे, माप-तोल में गडबडी करते थे, उत्पादकों को नगद राशि भी नहीं देते थे तथा किसानों से सस्ते में सब्जीभाजी खरीदकर व्यापारियों को ऊंचे दाम में बेचकर भारी मुनाफा कमाते थे।

इन परिस्थितियों में सन् १९४२-४४ की अवधि में अहमदाबाद शहर तथा दसक्रोई तालुका के अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं उत्पादकों ने सहकारी कानून के अन्तर्गत अहमदाबाद कॉपरेटिव फ्रूट एण्ड वेजीटेबल ग्रोवर्स एसोसियेशन लि. एवं दी पोटेटो ग्रोवर्स कॉपरेटिव एसोसियेशन लि. की स्थापना करके शाकभाजी में दलालों के एकाधिकारवाद से व्यापार को मुक्त करा दिया एवं तत्कालीन परिस्थितियों का सामना करते हुए सफलतापूर्वक कार्य प्रारम्भ कर दिया।

सन् १९४८ में गुजरात में बाजार कानून द्वारा शाकभाजी के व्यापार को नियन्त्रण में ले लिया गया। दलालों के एकाधिकार का कठोरतापूर्वक सामना करते हुए राजनगर बाजार को सहकारी समिति को सौंप दिया गया। माणिक चौक मार्किट यार्ड में सब्जीभाजी का नियंत्रित बाजार सफलतापूर्वक चलाया गया। राजनगर मार्केट के पास बाबूभाई वंडा वाले स्थान पर जगत बाजार समिति ने किराये पर मार्केट यार्ड में थोड़ी जगह ले ली।

राजनगर बाबूभाई वंडा मार्केट यार्ड का विस्तार ६००० वर्ग गज है परन्तु अहमदाबाद शहर की जनसंखया और व्यापार में वृद्धि के कारण स्थान छोटा पडने लगा। सन् १९६७ में समिति ने प्रयत्न शुरू किया जिसके फलस्वरूप १९७३ में सरकार ने अहमदाबाद नगर निगम की सीमा के अन्दर बेहरामपुरा में मार्केट यार्ड के लिये १४९२३ वर्ग मीटर जमीन आवंटित कर दिया। इस जमीन पर भवन निर्माण के लिए सीमित कोष होने के कारण व्यापारियों से बिना ब्याज की राशि (डिपाजिट) प्राप्त कर निर्माण कार्य पूर्ण किया गया। सन् १९८० में इस स्थान पर विधिवत् व्यापार स्थानांतरित कर कार्य प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में सरदार पटेल मार्केट शाकभाजी के नियंत्रित बाजार में देश भर में अग्रिम स्थान रखता है।

सन् १९८७ में भविष्य को ध्यान में रखकर समिति ने प्रयास करके अहमदाबाद नगर निगम से वासना मकतमपुरा सीमा के पास सरकार के मुखय नगर नियोजन विभाग द्वारा निश्चित किये गये मूल्य पर ५०,००० वर्ग गज स्थान क्रय किया। इस जमीन पर दिनांक १२.०७.१९९० को निर्माण कार्य का उद्घाटन तत्कालीन मुखयमंत्री श्री चिमन भाई पटेल के कर कमलों द्वारा किया गया। इस मार्केट का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर ०७ जुलाई ९६ को सरदार पटेल मार्केट यार्ड के आलू प्याज के जनरल कमीशन ऐजेन्ट एवं अन्य लाईसेंस प्राप्त जनरल कमीशन ऐजेन्टों को नये यार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। सरदार पटेल मार्केट यार्ड शाकभाजी के लिये एवं वासना वाला श्री चिमन भाई पटेल मार्केट यार्ड आलू प्याज के लिये अलग-अलग व्यवस्था में सफलतापूर्वक कार्य करने लगे।

सन् १९९७-९८ में नरोडा में स्थित फ्रूट होलसेल, तथा 'फूल बाजार' को भी बाजार नियंत्रण कानून के अन्तर्गत खेतीबाड़ी उत्पन्न बाजार समिति, अहमदाबाद में सम्मिलित कर लिया गया। इससे उन सभी कृषक भाईयों को बहुत राहत मिली तथा उन्होंने बाजार समिति के पदाधिकारियों एवं कारोबारी समिति को शुभकामनाएं दी।

Thursday, July 21, 2011

सोने जैसे व्यक्तित्व का चाँदी से तौल

सोने जैसे व्यक्तित्व का चाँदी से तौल

दिनांक ०७ नवम्बर २००९ अमरेली।

अमरेली की जनता द्वारा पूज्य श्री रमेश भाई ओझा, श्री वल्कू बापू, श्री द्वारकेश लाल जी महाराज तथा माननीय गुजरात के मंत्रियों सर्वश्री वजूभाई वाडा, नितिन भाई पटेल एवं अमित भाई शाह की उपस्थिति में श्री दिलीप भाई को १०६ किलो चाँदी से तौल कर सम्मानित किया गया।

श्री दिलीप भाई संघानी को कृभको द्वारा सहकार शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर गुजरात में हर्ष एवं गौरव की लहर फैली, देश एवं प्रदेश भर से आये हुए कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में सहकारिता शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित होने के पश्चात्‌ अमरेली में प्रखयात कथाकार संदीपनी गुरुकुल के अधिष्ठाता पूज्य श्री रमेश भाई ओझा की अध्यक्षता में भव्य एवं गरिमापूर्ण समारोह में श्री संघानी जी का सम्मान किया गया जिसमें उन्हें १०६ किलो चाँदी से तोला गया। श्री रामभाई मुकरिया एवं संखयाबद्ध मित्रों ने श्री संघानी जी को चाँदी एवं सोने का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया तथा डॉ० भरत भाई कानाबारे द्वारा श्री दिलीप भाई के विद्गाय में लिखित पुस्तक का विमोचन पूज्यश्री वल्कूबापू द्वारा किया गया।

श्री संघानी जी ने अपने व्यक्तित्व के अनुरूप १०६ किलो चाँदी अनुमानित मूल्य लगभग ३० लाख रूपये, गरीब एवं जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता हेतु अर्पण कर दी। उन्होंने कहा कि उनकी प्रगति एवं यश के अधिकारी उनके मित्र एवं शिक्षक हैं। भाजपा ने मेरी योग्यता से भी कई गुणा मुझे दिया है। मैं हृदय से इन सभी का आभार व्यक्त करता हूँ। अपने भाषण में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री पुरूषोत्तम भाई रूपाला एवं मित्रों के साथ चर्चा कर एक न्यास बनाकर गरीब एवं जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए इस राशि से सहायता की जायेगी। उनकी इस उदारता का उपस्थित हजारों जनता ने हर्ष से ताली बजाकर सम्मान किया।

इस अवसर पर पूज्य श्री रमेश भाई ओझा ने श्री संघानी जी की ३५ वर्ष की सेवाओं की प्रशंसा की और आज की घटना को उन्होंने जनता द्वारा प्रदान किया गया शिरोमणि पुरस्कार प्रतिपादित किया।

पूज्य श्री वल्कू बापू ने कहा कि 'व्यक्ति हंसता, सस्ता, खस्ता एवं कर्ता होना चाहिए' जिसका मूर्त रूप श्री दिलीप भाई हैं।

पूज्य श्री द्वारकेश लाल जी ने कहा कि 'धर्म सभा, राज्य सत्ता एवं प्रजा सत्ता का त्रिवेणी संगम जहां होता है वहां कल्याण राज्य की स्थापना होती है, यह सभी दिलीप भाई ने कर दिखाया है।

सभा में अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा श्री दिलीप भाई के गौरवपूर्ण कार्यों की प्रशंसा की गयी। इस विशाल सभा में गुजरात के संसदीय सचिव एल.टी. राजानी, जिले के विधायकगण, गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लि० के अध्यक्ष श्री परथी भाई भटोड़, गुजरात शहरी सहकारी बैंक संघ के अध्यक्ष ज्योतिन्द्र भाई मेहता, सांसदगण सर्वश्री दीनू भाई सोंलकी एवं नारायण भाई कछाडि या, राज्य अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री अजय भाई पटेल, उपाध्यक्ष डॉलर भाई कोटेचा सहित बडी संखया में सहकारी कार्यकर्ता एवं अमरेली की जनता उपस्थित थी।

सहकारिता शिरोमणि पुरस्कार से श्री दिलीप भाई संघानी विभूषित

सहकारिता शिरोमणि पुरस्कार से
श्री दिलीप भाई संघानी विभूषित


दिनांकः १७.०९.२००९, स्थान केन्द्रीय कार्यालय भाजपा, नई दिल्ली।

भाजपा केन्द्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित स्वागत कार्यक्रम में गुजरात के श्री दिलीप भाई नानू भाई संघानी, जो इस समय गुजरात भाजपा सरकार में सहकारिता मंत्री का पद सुशोभित कर रहे हैं, का कृभको (कृषक भारती कॉपरेटिव लि०) द्वारा सहकारिता शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किये जाने के उपलक्ष्य में मुखय अतिथि माननीय डॉ० मुरली मनोहर जोशी के आशीर्वचन के साथ केन्द्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय ११ अशोक रोड में अभिनन्दन किया गया।

माननीय डॉ० मुरली मनोहर जोशी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष सहकारिता प्रकोष्ठ के सहसंयोजक श्री धंनजय कुमार सिंह द्वारा मुखय अतिथि डॉ० मुरली मनोहर जोशी का पुष्प माल, शाल एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर स्वागत किया गया। सहकारिता शिरोमणि के सम्मान से विभूद्गित श्री दिलीप भाई संघानी जी का मुखय अतिथि डॉ० मुरली मनोहर जोशी ने स्वयं माल्यार्पण कर आशीर्वाद दिया। सहकारिता प्रकोष्ठ द्वारा संघानी जी तथा अन्य उपस्थित अतिथिगणों छत्तीसगढ़ से संसद सदस्य श्री मुरारीलाल सिंह, चन्दूलाल साहू, गुजरात की सांसद श्रीमती जय श्री बेन, श्री नारायण भाई कछाडिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमती भावना बेन चिखलिया एवं सहकार भारती के श्री सूर्यकांत केलकर का स्वागत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा स्मृति चिह्न भेंट कर किया गया।

स्वागत भाषण में श्री धनंजय कुमार सिंह ने आज के दिन को सहकारिता प्रकोष्ठ के लिये दोहरी खुशी का दिन निरूपित किया क्योंकि यू.पी.ए. शासन के दौरान भाजपा के कार्यकर्ता श्री दिलीप भाई को राष्ट्रीय सम्मान मिला तथा इस उपलक्ष्य में स्वागत कार्यक्रम में माननीय डॉ० जोशी जी की गरिमामय उपस्थिति अपने आप में महत्वपूर्ण रही।

श्री दिलीप संघानी जी ने अपने उद्बोधन में इस सम्मान प्राप्ति को सहकारिता से जुडे कार्यकर्ताओं का सम्मान घोषित किया। सरकार द्वारा प्राप्त सम्मान जोशी १ लाख १००० में २५००० अपनी तरफ से जोड कर उन्होंने सम्पूर्ण राशि गुजरात सरकार के 'कन्या शिक्षा' कार्यक्रम को अर्पण कर दी। भाव विह्वल शब्दों में उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार का गौरव मैं केवल भाजपा कार्यकर्ता के नाते प्राप्त कर सकता हूँ। मा० मुरली मनोहर जोशी जी की उपस्थिति में आज मुझे सम्मानित किया जा रहा है यह अपने आप में मेरे लिये गौरवमयी क्षण है। भाजपा ने विभिन्न पदों पर मुझे जो अवसर दिया है वह अभूतपूर्व है।

मुखय अतिथि डॉ० मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यह मेरे लिये प्रसन्नता का अवसर है कि सहकारिता शिरोमणि सम्मान प्राप्त कार्यकर्ता के स्वागत के लिए आयोजित कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित किया गया। उन्होंने संघानी जी को संघ से प्रेरित वस्तु गोविन्दम्, जनहितैषी योजनाओं के लिये समर्पित एवं संगठन के हर आदेश को पूरा करने वाला कार्यकर्ता बताया।

उन्होंने कहा कि संघानी जी द्वारा पुरस्कार राशि में और अपनी तरफ से २५००० हजार जोड़ कर कन्या शिक्षा कार्यक्रम में प्रदान करना, भारत की परम्परा का प्रतीक है, जो मिला समाज को दिया और अधिक जोड कर कृतज्ञता का भाव सम्मिलित कर समाज को वापिस करना इस भावना का सर्वोत्तम उदाहरण है।

उन्होंने महाराज अग्रसेन की उक्ति को दोहराया कि 'सभी सहकार करो' यही एक भाव भारत भूमि में व्याप्त रहा है, सर्वे भवन्तु सुखिनः।

कार्यक्रम का संचालन दिल्ली प्रदेश भाजपा, सहकारिता प्रकोष्ठ के संयोजक श्री अशोक ठाकुर ने किया। कार्यक्रम के अंत में के.सह.प्रको. भाजपा के सह-संयोजक मा. भंवर सिंह शेखावत जी ने सभी उपस्थित बन्धुओं, सांसदगणों एवं अन्य गणमान्य बन्धुओं का धन्यवाद ज्ञापन किया।

Tuesday, July 19, 2011

गुजरात में सहकारी प्रवृत्तिया

गुजरात में सहकारी प्रवृत्तिया

ऋग्वेद का एक जाना माना श्लोक है 'संगच्छध्वं संवदध्वसं वो मनांसि जानताम समानो मंत्रः' जिसका अर्थ है, हम साथ-साथ चलें, एक साथ होकर संवाद करें और अपने निर्णयों में सर्वमत बनायें, हमारी प्रार्थना एक समान हो... सहकारी प्रवृत्तियों के सिद्धांतों की बुनियाद में इन बातों को ही समाविष्ट किया गया है।

सहकारी प्रवृत्ति प्राचीन युग से चली आ रही सामाजिक और आर्थिक उन्नति के सिद्धांत पर टिकी हुई एक सामूहिक प्रवृत्ति है। करीब १०५ साल से वह हमारे राज्य में पनपती रही है। अविरतरूप से और आयोजनपूर्वक कार्यरत रही है। विशेष रूप से इसमें जनता के आर्थिक हितों और सामाजिक क्षेत्र के विकास पर बल दिया गया है, जिस वजह से आम जनता के जीवन में काफी परिवर्तन हुआ है। कृषि, व्यापार, वाणिज्य एवं सेवा के क्षेत्र से इसका गहरा नाता रहा है। गुजरात में वर्तमान में विभिन्न प्रकार की करीब ६२,००० से भी अधिक सहकारी समितियां विद्यमान हैं और इन समितियों की सदस्य संखया करीब १३० लाख की है। इन समितियों में प्राथमिक कृषि विषयक उधार मंडलियों, दुग्ध समिति, क्रय-विक्रय समिति, गृह मंडली, नागरिक सहकारी बैंक, ग्राहक समिति और कृद्गिा समिति आदि व्यापक रूप से समाविष्ट हैं।

कृषि से संलग्न प्रवृत्तियों में लगने वाली ऋण राशि का 46.15% (प्रतिच्चत) भाग सहकारी क्षेत्र के द्वारा ही उपलब्ध कराया जाता है।

राज्य के करीब ७० प्रतिशत छोटे और सीमांत कृषक सहकारी संरचना में शामिल हैं और उनमें लगभग १३ लाख से अधिक छोटे और सीमांत किसान तथा दुर्बल वर्ग के किसान अपना अल्पकालीन कृषि ऋण सहकारी ढाँचे के द्वारा प्राप्त करते हैं। इस ऋण की राशि अब तक ज्यादातर सहकारी बैंकों द्वारा १० से १३ प्रतिशत के ब्याज दर से उपलब्ध कराई जाती है, जबकि वाणिज्य बैंक इस ऋण को केवल ९ प्रतिशत ब्याज से उपलब्ध कराते हैं। आश्चर्य अब यह है कि जो किसान सहकारी बैंक के विस्तृत ढाँचे से संलग्न हैं उन्हें भी यह ऋण ९ प्रतिशत दरों से प्राप्त हो। अतः जो रत्न कलाकार मंदी के माहौल से प्रभावित हुए हैं, जिनका निर्वाह अपने लघु कृषि पर निर्भर हो तथा धंधा छोड़कर अपने प्रदेश में जा चुके हों, उन्हें इस प्रकार का कृषि ऋण सस्ते दर से प्राप्त हो सके, यह आवश्यक है। इस चिंतन के साथ सहकारिता के कृषि और सहकार विभाग द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जो इस प्रकार है। 'रत्नकलाकारी' के साथ जुडे हुए किसानों को ६ प्रतिशत ब्याज दर से ऋण उपलब्ध कराने वाले सहकारी बैंक को नाबार्ड की ओर से अल्प अवधि ऋण के लिये जो 7% प्रतिशत ब्याज दर से रि-फाईनेंस (पुनर्वित्त प्रबंध) और ब्याज राहत दी जाती है। राज्य सरकार अपनी ओर से अपने स्त्रोत से २ प्रतिशत की ऋण राहत देती थी उसे बढ़ाकर तीन प्रतिशत की ब्याज राहत दी जाये। (ठहराव क्रमांकः सीएसबी/१२२००७/एम/१२८/सीएच दिनांक २७.०२.२००९) जिसके अंतर्गत इस वर्ष २००९-१० में लगभग रू. ३.८५ करोड की राशि किसानों को ब्याज राहत के रूप में दी जायेगी।

गुजरात राज्य में किसानों को अपनी फसल के अर्थसक्षम और पुष्टिसक्षम दरों की प्राप्ति हो सके इस हेतु कृषि उपज मंडी समितियां कार्यशील हैं। ऐसी करीब २०७ ए.पी.एम.सी. (कृषि उपज विपणन समिति) मंडलियां (समितियां) अपने यहां रू. १६९८९.९७ करोड़ के वार्षिक कृषि उत्पादनों की बिक्री करते हुए किसानों को आर्थिक लाभ दिलवाने की दिशा में अपना योगदान कर रही हैं। सम्मानीय मुखयमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रेरणादायी और प्रभावी नेतृत्व में अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ सहकारी प्रवृत्ति के क्षेत्र में भी गुजरात ने ए.पी.एम.सी के द्वारा कृषि उत्पादित पदार्थों की बिक्री में सफलता के उच्चतम शिखर छू लिये हैं। ए.पी.एम.सी. धारा में आवश्यक अन्वेषणों को प्रधानता देते हुए ई-मार्किट, निजी मार्किट और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग आदि को अधिनियम में समाविष्ट करते हुए उसे आदर्श अधिनियम (मॉडल एक्ट) का स्वरूप देना उचित समझा गया है। कृषि बाजारों के विकास तथा संवर्धन हेतु राज्य सरकार ने गुजरात कृषि बोर्ड की रचना कर दी है जो राज्य भर की सभी ए.पी.एम.सी. की सुविधायें उपलब्ध कराने की दिच्चा में प्रयत्नशील है। अहमदाबाद और ऊंझा की ए.पी.एम.सी. अपने कार्य में उत्तमता प्राप्त कर चुकी हैं।

सन् २००१ के दौरान कुछ अवधि के लिये नागरिक सहकारी बैंकों में संचालन और आर्थिक स्थिति के बारे में समस्यायें खडी हुई थीं। राज्य सरकार ने उस समय समयोचित कदम उठाये। सहकारी कानूनों में सर्वप्रथम नागरिक सहकारी बैंकों के लिये (कंडिका) प्रकरण-१० को शामिल करवाया गया, जिसके अन्तर्गत विशेष रूप से बैंक के संचालक बोर्ड के उत्तरदायित्व को सक्षम बनाकर शिक्षात्मक/दंडनात्मक प्रथा सम्मिलित की गई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ एम.ओ.यू. (आपसी समझौता ज्ञापन) द्वारा टास्कबल (Task force) की रचना करना, दूसरा कदम था। प्रतिमास इसकी बैठक बुलाकर और नियमित रूप से नागरिक बैंकों की कार्यवाही की समीक्षा की जाती है और सुधार के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये ठोस कदम उठाये जाते हैं। परिणामस्वरूप, नागरिक सहकारी बैंकों के प्रति संरक्षणात्मक अभिमत के द्वारा निर्बल बैंकों को अन्य सुदृढ़ बैंक के साथ मिला देने में सफलता प्राप्त हुई है। इस प्रकार अब तक करीब २२ बैंकों का विलय किया जा चुका है।

गुजरात के माननीय मुखयमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में 'निरोग बाल' और 'जलसंग्रह अभियान' के अन्तर्गत बच्चों तथा माताओं को पोष्टिक आहार 'सुखड़ी और दूध' उपहार के रूप में राज्य की सहकारी संस्थाओं द्वारा दिया जा सके इस हेतु दान प्रवृत्ति को मंजूरी दी गई है जिसके अंतर्गत करीब १० हजार किलो सुखड़ी और ७५००० लीटर दूध बच्चों और माताओं के लिये वितरण हेतु भेजा गया है। इस तरह से जलसंचय और जलसंग्रह की प्रवृत्तियों के लिये भी श्री मोदी के अभियान के अंतर्गत राज्य के सभी तालाबों को और चेकडैमों को गहरे करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसके लिए गुजरात के सहकारी संगठनों से ५० लाख की राच्चि का सहयोग प्राप्त हो चुका है। इस प्रकार सहकारी क्षेत्रों
द्वारा समाज के उत्कर्ष की दिशा में ठोस कार्य हो रहा है।

महात्मा गाँधी और सरदार पटेल की जन्मभूमि गुजरात, महान पुरूषों की विचारधारा से समृद्ध और संपन्न है। यहां सदा समानता, सेवा, निष्ठा और ट्रस्टीशिप के सिद्धांत पनपते रहे हैं। यहां ग्राम विकास, स्वावलंबन और स्वदेशी की झलकियों के दर्शन मिलते हैं। यह सभी तत्व हमारे सहकारी सिद्धांतों में उजागर होते दिखाई पडते हैं। गुजरात में सहकारी प्रवृत्ति ने सामाजिक उत्थान और सामाजिक उत्तरदायित्व की ओर तथा सूदखोर, मुनाफाखोर, व्यापारियों के शोषण से मुक्ति दिलाने का कार्य सहकारिता द्वारा हुआ है। सहकारी प्रवृत्ति एक सभी के लिये और सभी एक के लिए, के सिद्धांत को लेकर गतिशील रहती है। मूलतः यह प्रवृत्ति गाँधीजी और सरदार पटेल की विचारधारा से प्रेरित हुई थी जो आज गुजरात के सम्माननीय मुखयमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के प्रभावी नेतृत्व के साथ आधुनिक तंत्रज्ञान, कम्प्युटराईजेशन और व्यवसायिक दृष्टिकोण को लेकर स्पर्धात्मक आर्थिक प्रवृत्ति के साथ सम्मिलित होती आगे बढ रही है। सहकारी संस्थायें अपने करोडों सदस्यों को साथ लेकर सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में आगे कदम बढा रही हैं।

रा०स्व०संघ सेवा विभाग द्वारा गुजरात में ग्राम विकास का कार्य

रा०स्व०संघ सेवा विभाग द्वारा गुजरात में ग्राम विकास का कार्य
कठाडा गांव, तहसील दसाड़ा, जिला सुरेन्द्र नगर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सेवा विभाग द्वारा देश के प्रत्येक जिले में एक गाँव का चयन करके समग्र ग्राम विकास योजना के अंतर्गत ग्राम विकास का कार्य सम्पन्न किया जाता है। गुजरात प्रदेश में संघ की दृष्टि से कुल ३३ जिले हैं, जिसमें अधिकांश जिलों में ग्राम विकास का कार्य प्रारम्भ किया गया है तथा सबसे अधिक कार्य कठाडा गांव, तहसील, दसाडा, जिला सुरेन्द्र नगर में चल रहा है। इस गाँव की जनसंखया १७६६ है। मुखय रोजगार कृषि, पशुपालन, मजदूरी इत्यादि है।

ग्राम में एक प्राथमिक पाठशाला, दो बाल मंदिर तथा एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केन्द्र है। संघ के सेवा विभाग द्वारा आयुर्वेदिक औद्गाधियों का संग्रहण कार्य भी होता है। यहाँ १९८३ से संघ की शाखा निरन्तर चल रही है। बहनों एवं भाईयों की अलग-अलग प्रभात शाखायें एवं भजन मंडलियाँ हैं। प्रतिदिन प्रभात फेरी होती है। वर्तमान में बहनों के दो बचत समूह हैं। बहनों के सिलाई वर्ग में दस-दस के तीन दल (Batch) सम्पन्न हुए हैं एवं चौथे दल का वर्ग चल रहा है। यह सभी सेवा बस्ती के रहने वाले हैं। संस्कार केन्द्र प्रत्येक रविवार सायं ४ से ५ बजे समाज के मन्दिर में चलता रहा है। ग्राम समिति की बैठक हर माह पहली तारीख को रात्रि ८ से ९ बजे होती है और समिति में समाज के सभी वर्गों के ११ सदस्य सम्मिलित हैं। बैठक की कार्यवाही लिखित होती है। अन्य समितियों का विवरण निम्नलिखित है :-

(१) बहनों की ग्राम समिति ११ सदस्यों की
(२) समाज मंदिर समिति ७ सदस्यों की
(३) समाचार फलक समिति ४ सदस्यों की
(४) आरोग्य समिति १७ सदस्यों की
(५) कुल १२ सेवा प्रकल्प

ग्राम देवगढ़, तहसील माण्डवी, जिला सूरत
यह ग्राम वनवासी लोगों का है। पहले यह देशी दारू का उत्पादन केन्द्र एवं लडाई झगडे का गढ था। सेवा कार्य प्रारम्भ होने के पश्चात्‌ ग्राम के प्राथमिक पाठशाला के एक शिक्षक श्री रायसिंह भाई चौधरी ने बहुत श्रम करके ग्राम में दारू गुटका आदि बंद कराया। समाज की ओर से प्रारम्भ में थोडा बहुत विरोध हुआ परन्तु अन्ततः सब शान्त हो गया। गांव में प्रदेश संघ की बैठक हुई। निवर्तमान परम पूज्य सर संघचालक श्री सुदर्शन जी ग्राम में पधारे। वर्ष २००३ में ग्राम वासियों ने मिलकर २ लाख ३० हजार के व्यय से आटा चक्की और चावल मिल शेड का निर्माण किया। जिसके लिए बैंक से १ लाख २२ हजार का कर्ज भी लिया गया था। २ वर्ष के भीतर उसकी भरपाई की गई। एक लाख ३० हजार का लाभ खाते में है। चावल मिल का लाभ ग्रामीण एवं उसके आस-पास के ग्रामों के कृषक भी लेते हैं। ग्राम में भाईयों के दो बचत घर चल रहे हैं, जिनकी बचत १.५० लाख है। बहनों के चार बचत घर हैं, जिनकी बचत १ लाख है। दिनांक ०६.१०.२००९ को विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा द्वारा कृद्गिा च्चिविर का आयोजन ग्राम में रखा गया था जिसका लाभ ग्राम के १५० भाई बहनों ने लिया। कृषि शिविर के डॉ० अशोक भाई शाह जो वि०मं०गौ ग्राम यात्रा के अध्यक्ष हैं, समारोह के मुखय वक्ता थे।

ग्राम कोठाओं, तहसील कर्जन, जिला बड़ौदा
ग्राम में प्रभात शाखा चलती है। बहनों के लिये प्रारम्भ सिलाई केन्द्र में ४२ बहनों ने शिक्षा ग्रहण की तथा सिलाई मशीन का प्रयोग घर में ही प्रारम्भ किया। १ से लेकर ८वीं कक्षा तक की पाठशाला के बालकों के लिये शिक्षा वर्ग प्रारम्भ किये गये हैं। शिक्षा ग्रहण में कमजोर बालकों के लिये ट्‌यूशन वर्ग एवं उनके लिये संस्कार केन्द्र चल रहे हैं। सामाजिक समानता हेतु अम्बा माताजी के मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के महोत्सव के समय अति उत्तम वातावरण ग्राम में बना। हरिजन समाज के लोग प्रतिदिन मंदिर आते हैं तथा सभी कार्यक्रमों में साथ में भोजन करते हैं। ग्राम की बहनों ने संघ के सेवा कार्य के प्रयास से गृह उद्योग जैसे पैरधन, मोमबत्ती, अगरबत्ती, चाकलेट, जाम, जेली, अचार, शर्बत, जैसे अनेक पदार्थ तैयार करने की शिक्षा ली है तथा आपसी सहकार के माध्यम से स्वावलम्बन की ओर बढ़ रहे हैं।