प्रगति महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, भिलाई, दुर्ग
आज से १३ वर्ष पहले एक छोटे से बीजांकुर के रूप मे प्रगति महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित की स्थापना हुई थी। आज उसी बीजांकुर का इतना विशाल वृक्ष का रूप देखकर अभिमान से सर ऊॅचा उठ जाता है। बैंक की स्थापना करने की कल्पना करने वाली उन महिलाओं की छोटी सी टोली से लेकर आज तक अनगिनत व्यक्तियों ने बैंक के कार्य में किसी भी स्वरूप मे हाथ बटाया है उन सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त किये बिना नहीं रहा जाता।
मानव जीवन का सामाजिक वास्तव्य ही प्रमुख लक्ष्य रहता है और सहकारिता यह मानवीय गुण है। यह भारतीय जीवन शैली का दर्पण है। अकेला चना भाड़ नही फोड सकता। यह एक अकाट्य तथ्य है। मनुष्य को पग पग पर एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकता पडती है और इसी सहयोग ने सहकार तथा सहकारिता को जन्म दिया है। आवश्यकतानुसार इसका रूप-प्रारूप बदलता रहा है। गावों से लेकर महानगरों तक कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर विभिन्न प्रकार की समितियां बनाकर सहकारिता का लाभ लेते हैं। परन्तु इनका दुरूपयोग न हो इसके लिये शासन को नियंत्रण लगाना पडा और शासकीय सहकारिता विभाग का अभ्युदय हुआ। इस विभाग सें और इस विभाग मे सहकारिता की कमियां और उससे गैर वाजिब लाभ लेने वालों पर अंकुश लगा हो या नियंत्रण हुआ हो यह चर्चा और शोध का विषय हो सकता है परंतु जिन व्यक्तियों ने सेवाभाव को प्रधानता देते हुए अपनी संस्था को जन्म दिया तथा उसका संवर्धन किया वे संस्थाएं किसी सरकारी सहायता की मोहताज नहीं रही। भिलाई में सन १९९५ में प्रगति महिला नागरिक सहकारी बैंक का रजिस्ट्रेशन कर स्थापना की गयी। अपने समाज सेवा के मूल उद्देश्यों और आदर्शों पर पूरा खरा उतरते हुए इस बैंक ने केवल १० वर्षो में ही छत्तीसगढ़ का सर्वोत्तम सहकारी बैंक का खिताब वर्ष २००६ में अपने नाम किया और आज भी यह कीर्तिमान प्रगति महिला नागरिक सहकारी बैंक भिलाई दुर्ग के पास बना हुआ है। छत्तीसगढ शासन ने वर्ष २००६ के छत्तीसगढ राज्योत्सव में विभिन्न पुरस्कारों के साथ सहकारिता विभाग का ''ठाकुर प्यारे लाल सिंह सहकारिता सम्मान ''पूर्व राष्ट्रपति महामहिम ए.पी. जे. अब्दुल कलाम जी के कर कमलों से, मुखयमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम प्रकाद्गा पांडे, पूर्व राज्यपाल महोदय और अन्य गणमान्य मंत्री महोदय एवं करीबन २ लाख जन समुदाय के समक्ष छत्तीसगढ राज्य के सर्वोत्कृष्ट सहकारी बैंक के सम्मान से विभूषित किया।
रिजर्व बैंक की दृष्टि मे ''लिटिल बट स्ट्रांग'' है यह बैंक
प्रगति महिला नाग. सह. बैंक की सफलता की विकास यात्रा करीबन २० वर्ष पूर्व महाराष्ट्र मंडल सेक्टर ४ से प्रारंभ हुई थी। महाराष्ट्र मे सफलतम व्यवसाय करने वाली सहकारी महिला बैंकों की चर्चा मंडल में हमेशा ही होती रहती थी। अवसर था गोंदिया निवासी श्री राम टोल जी की महिला मंडल से सौजन्य भेंट का। वे गोंदिया नाग. सह. बैंक के सी.ई.ओ. थे।
उस समय महिला समिति बड़ी, पापड, टिफीन, नाश्ता, दीवाली में लगने वाले चकली, गुजिया जैसे पदार्थ का व्यवसाय भी सफलता पूर्वक कर रही थी। श्री टोल जी के समक्ष इन महिलाओं ने अपनी सहकारी महिला बैंक का विचार रखा। खूब चर्चा, संगोष्ठी हुई। यहां महिलाओं में ऐसा अक्षय उर्जा का भंडार उन्हें दिखा तो तुरंत उन्होने सहकारी महिला बैंक स्थापना करने मे पूर्णतः मदद करने की हामी भरी। उस समय मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ में एक भी सहकारी महिला बैंक नहीं थी। चूंकि महाराष्ट्र महिला मंडल में महाराष्ट्र की तर्ज पर महिला सहकारिता का अभ्युदय यह सब मानो आर्थिक जगत में महिलाओं की दस्ते के लिए एक अनुकूल संयोग था। बस फिर क्या था भारत की हृदय स्थली में रहने वाले इस लघु भारत रूप भिलाई की महाराष्ट्रीयन महिलाओं ने अपनी १९८९ की पहली बैठक मे सहकारी महिला बैंक प्रारंभ करने का बीडा उठा ही लिया।
श्रीमती माधुरी ताई बखले के नेतृत्व में सभी चल पड़ीं। श्रीमती स्मिता जोशी प्रारंभ से आज तक की सफल अध्यक्षा, संजीवनी जोशी, नलिनी करकरे, प्राजक्ता करकरे, सुधा ताई देशपांडे, वृंदा भिडे, आरती जोशी तथा मैंने घर घर जाकर इन महिलाओं को महिला बैंक की संकल्पना, शेयर का अर्थ, शेयर मनी की आवश्यकता एवं बाध्यता, उनके पैसे की सुरक्षा का भरोसा दिलाने मे अपना दिन रात एक कर दिया। इस जुनून में अन्य अनेकानेक सखियों ने भी बढ चढ कर साथ दिया। रजिस्ट्रेशन के बाद रिजर्व बैंक का टारगेट पूर्ण करना जो कि १५०० सदस्य एवं १५ लाख अंश राशि खडा करना बडा सा पहाड पार करने वाला था परंतु ३ महीने में ही १७०० सौ सदस्या एवं १८ लाख अंश राशि का लक्ष्य पूरा हुआ।
दिन-दिन बढ़ता शेयर मनी हम महिलाओं के साहस और उत्साह में हर दिन वृदि करता और हर दिन नई योजनाएं, कार्यक्रमों को आंका जाता। फिर शुरू हुई कार्यालयीन कार्यवाही रिजर्व बैंक का लाइसेंस प्राप्त करना। इसके लिए जिला एवं संभागीय कार्यालयों के चक्कर काटना मानो हम महिलाओं की दिनचर्या का अभिन्न अंग बन गया। उस वक्त सहकारिता विभाग का अमला महिलाओं को समर्थक व्यवहार नहीं दे सका। महिला बैंक की स्थापना उनके सुव्यवस्थित संचालन पर उन्हें विश्वास रखना मुश्किल था। हमें बार-बार पूछा जाता था आपके साथ कोई पुरूष नहीं है क्या? हमें हमारी कार्य क्षमता पर उंगली उठती देख हम दुखी होते थे और महिलाए क्या बैंक चलाएंगी? इस नकारात्मक सोच के कारण नित्य हमें उपहास ही सहन करना पड ता था। परंतु कुछ कर दिखाने का जुनून १७०० महिलाओं की भागीदारी और उनकी शिक्षा के कारण अर्जित धैर्य ने कभी भी हम महिलाओं के बढते कदम रोकने के लिए प्रवृत नहीं किया।
हमारा साहस बढ़ाते हुए अग्रिम पंक्ति में कार्य करने वाली महिलाओं के पति भी पर्दे के पीछे सशक्त संबल दे रहे थे और प्रत्यक्ष सहयोग में अनेक बंधुओं के साथ तत्कालीन भाजपा विधायक स्व. दिनकर डांगे एवं संघ एवं भाजपा कार्यकर्ता श्री भाऊ टेंभेकर जी का नाम अविस्मरणीय है। टेंभेकर जी तो निःस्वार्थ हम महिलाओं की रायपुर एवं भोपाल (रिजर्व बैंक के प्रादेच्चिक मुखयालय) प्रवास में ठहरने, खाने की व्यवस्था सहर्द्गा अपने परिजनों के यहां करवा कर हम महिलाओं को सुरक्षा और संबल देते थे और आर्थिक संतुलन भी। क्योंकि १५ - १६ वर्ष पूर्व होटल मे रूकना आमबात भी नहीं था और खर्च के लिए तो कोई मद ही नहीं थी साथ में हमारे युवा साथी अतुल नागले, राजेन्द्र जोशी, अजय डांगे, धनंजय करकरे, विजय जोशी हमें प्रोत्साहित करते थे। इस सारी की सारी प्रक्रिया में हम महिलाओं ने कहीं भी अनाधिकृत आर्थिक प्रलोभनों का सहारा नहीं लिया जिससे कार्यों मे विलंब जरूर हुआ परंतु स्वच्छ आर्थिक व्यवहार की मजबूत नींव भी हमने रखी जो आज हमारी संस्था का पर्यायवाची बन गया है।
लाईसेंस मिलने की प्रक्रिया पूर्णता की ओर बढ़ रही थी व्यवसाय के लिए उचित स्थान की खोज शुरू हुई। प्रारंभिक व्यवस्था में महाराष्ट्र मंडल सेक्टर ४ भिलाई के निर्माणाधीन भवन में ही सब गतिविधियां चल रहीं थी। परंतु इस्पात नगरी भिलाई में स्वस्थ सहकारिता का वातावरण होने के कारण भिलाई इस्पात संयंत्र ने हमें सेक्टर २ ''ए'' मार्केट में जगह उपलब्ध कराकर मानो हमारे काम पर सफलता की मोहर लगा दी।
लाईसेंस और जगह सुनिश्चित होने के बाद दैनंदिन बैंकिंग प्रक्रिया आरंभ करने के लिए हमें अमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। मुम्बई सहकारिता के क्षेत्र में अग्रगण्य श्री अरविंद भिड़े, श्री रंजन कुलकर्णी, सहकारी बैंक मुम्बई के श्री सतीश मराठे जो आज भी बैंक को सौजन्य भेंट देते रहते हैं। बैंक स्टाफ की संखया से लेकर सेवा भावना के साथ कार्यकरने के गुरूमंत्र देने का गुरूत्तर कार्य श्री भिडे काका ने किया। हम सब सदा ही उनके अत्यंत ऋणी रहेंगे। सभी घटकों के प्रतिनिधित्व को ध्यान मे रखते हुए प्रथम तदर्थ बोर्ड आफ डायरेक्टर्स का गठन हुआ।
समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व और बैंक के माध्यम से समाज ऋण से अल्पमात्रा मे ही क्यों न हो उऋण होन के लिए हमने अपने ऐतिहासिक धरोहर को आत्मसात करने का प्रयास किया। फलतः मातृत्व कर्तृत्व और नेतृत्व का पाठ पढ़ाने वाली वंदनीया जीजा बाई, देवी अहिल्या बाई होल्कर और वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई को हमने अपना प्रेरणा स्रोत स्वीकार किया और इनका आदर्द्गा ही आज हमें कतिपय कठिनाईयों का सामना कर अपनी विकास यात्रा पर अग्रसर होने में आत्मिक उत्साह विद्गवास से भर देता है।
क्रमशः हमारे बैंक का वास्तविक प्रारंभ दिन पास आता गया और यहां उल्लेखित और अनुल्लेखित शुभचिंतकों के सहयोग, सदस्यों और भरपूर अंशराशि के साथ आर्शीवाद से हमने २५ जनवरी १९९६ को प्रगति महिला नागरिक सहकारी बैंक भिलाई का दुर्ग नगर एवं तत्कालीन म.प्र. और अब छत्तीसगढ़ सहकारिता विभाग में अवतरण हुआ। आने वाले वर्षो में मध्यम वर्गीय महिलाओं द्वारा आरंभ किये गये बैंक ने अपना कारोबार भी कम लागत व समर्पण भाव से उत्तम सेवा और अधिक लाभ का समीकरण सफलता पूर्वक प्राप्त किया जिसका पूरा श्रेय बैंक के पूर्व प्रबंधक श्रीयुत सुशील सगदेव, प्रबंधक श्री प्रतुल भेलोंडे,सहा. प्रबंधक श्री मुकुंद भोंबे और संपूर्ण स्टाफ को जाता है।
आरंभिक काल मे डिपाजिट लाने सभी करीब २० साख समितियों का विश्वास अर्जित कर उनका कारोबार और डिपाजिटर, ऋणी महिलाओं को अपने बैंक मे लाने के लिए सौ. स्मिता जोशी ने अपने सहयोगिनियों श्रीमती प्राजक्ता करकरे, आरती जोशी आदि के साथ अपनी अध्यक्षीय जिम्मेदारी बखूबी निभाई। सफल बैंक इस्पात संयंत्र के अधिकारियों का सहकार जो कि बैंक के प्रगति में वरद हस्त रहा।
स्थापना के ५ वर्षो में ही हमने हमारा दुर्ग स्थित विस्तार पटल आरंभ किया, भिलाई कार्यालय का नवीन भवन और कम्प्यूटरीकरण पूर्ण किया। निस्वार्थ सेवा भाव एवं इमानदार संचालक मंडल भी बैंक की विश्वासनीयता एवं लोगों का विश्वास पात्र रहा है जिससे व्यवसाय में बढ़ोत्तरी तो हो ही रही है। तीसरी बार इलेक्शन फाइट कर बैंक को सुव्यवस्थित संचालित कर बैंक का कारोबार बढता ही रहा है। महिलाओं के लिए विभिन्न प्रकार के उद्यमिता शिविरों का आयोजन कर आर्थिक, समाजिक, शैक्षणिक विषयों पर विचार मंथन करने का महिलाओं में जागरूकता लाने का कार्य संचालक मंडल एवं स्टाफ द्वारा किया जा रहा है।
राज्य में या देश में आये आपदा में बैंक ने सहायता करने के लिए बढ़ चढ कर हिस्सा लिया है। स्थानीय जनोपयोगी संस्था जैसे आदिवासी छात्रावास, मंदबुद्धि विद्यालयों, महिला बचत समूह, खेलकूद, शैक्षणिक स्कालरशिप आदि सामाजिक कार्यों को बढावा देना, अनुदान अपने धर्मदाय खाते से देना अपना आर्दश ही बना लिया है। बैंक प्रारंभ से ही लाभ में रहा है और अपनी सदस्याओं को बढ़ते क्रम में ११ प्रतिशत लाभांश दे रहा है। व्यवसायिक बैंकिंग प्रतिस्पर्धा में ताकतवर बन कर महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान करने का लक्ष्य रख कर बैंक का व्यवसाय सम्मानजनक है। ''लिटिल बट स्ट्रांग'' बैंक है हमारा।
वर्तमान में ६२०० सदस्य, १४०.३९ लाख अंशपूंजी, ४२२५. २८ लाख कार्यशील पूंजी, Net NPA १.७४% के साथ बैंक प्रथम वर्ष से लगातार ''अ'' वर्ग मे अंकेक्षित है।
बैंक ने वर्ष २००४ में राष्ट्रीय विकास रत्न गोल्ड पुरस्कार, वर्ष २००६ में छत्तीसगढ़ शासन का सहकारिता विभाग का ठाकुर प्यारे लाल पुरस्कार, वर्ष २००८ में इंडियन अचीवर्स फोरम से बेस्ट परफारमिंग को - ऑप. बैंक का पुरस्कार प्राप्त करके अपनी विकास यात्रा को जारी रखा है। हमें पूरा विश्वास है कि छत्तीसगढ राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार की महिलाओं को सहकारी क्षेत्र में बढावा देने वाली योजनाओं का लाभ उठाते हुए, व्यवस्था और मूल्यों का उच्च स्तर बनाए रखते हुए अपने कार्य क्षेत्र में सकारात्मक योगदान देते हुए शासन और बैंक दोनो ही गौरवान्वित होंगे।
कामना करते हैं कि समाज के सहयोग से हम कम खर्च अधिक सेवा अधिक लाभ के सिद्धांत से सफलता की नये सोपानों का आरोहण कर सहकारिता विभाग में अपनी उज्वल छवि को हमेशा बनाये रखेंगे।
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