Sunday, January 2, 2011
Chintan Baithak Central Cooperative Cell BJP, at Bhopal (M.P.)
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ भाजपा
दिनांक 4 एवं 5 दिसम्बर 2010
स्थान - अपेक्स बैंक प्रशिक्षण केन्द्र, भोपाल (म.प्र.)
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रशिक्षकों की चिन्तन बैठक केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री धनंजय कुमार सिंह जी के मार्ग दर्शन में दिनांक 4-5 दिसम्बर 2010 को अपेक्स बैंक प्रशिक्षण केन्द्र भोपाल में आयोजित की गयी। इस चिन्तन बैठक का मुख्य उद्देश्य दिनांक 19, 20 व 21 नवम्बर 2010 को रायपुर (छत्तीसगढ़) में सम्पन्न हुई प्रशिक्षण की समीक्षा करना, कमियों में सुधार करना तथा प्रशिक्षण की आगामी कार्य योजना तैयार करना था। छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षण की सी.डी. बनायी गयी थी जिसको प्रोजेक्टर के माध्यम से सभी प्रशिक्षकों को दिखाकर समीक्षा की गयी। सहकारिता के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से नई सहकारी समितियां बनाने, स्वरोजगार का अवसर बढ़ाने और जिला तथा मण्डल स्तर तक प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए कार्य योजना तैयार की गयी। 1, 2 दिसम्बर 2010 को दिल्ली में हुई केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ एवं सहकार भारती की संयुक्त चिंतन बैठक में बनायी गयी कार्ययोजना से सभी प्रशिक्षकों को अवगत् कराया गया। प्रशिक्षण के उद्देश्य को प्राप्त करने एवं उसे प्रभावी बनाने पर विशेष बल दिया गया।
माननीय श्री सुनील गुप्ता राष्ट्रीय, सह-संयोजक, केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ, श्रीमती जीना पोतसंगबम (मणीपुर), श्री राजेन्द्रन चेट्टियार (केरल, चण्डीगढ़) श्री सुनील जैन (गुजरात), श्रीमती रमा चतुर्वेदी (उत्तर प्रदेश), श्रीमती मंजू शर्मा (मध्य प्रदेश), अशोक बजाज, (प्रदेश संयोजक, सहकारिता प्रकोष्ठ छत्तीसगढ़), श्री शशिकांत द्विवेदी, अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक (छत्तीसगढ़) ने सहभागिता की।
दिनांक 05.12.2010 दोपहर 2.00 बजे बैठक सम्पन्न हुई।
दिनांक 4 एवं 5 दिसम्बर 2010
स्थान - अपेक्स बैंक प्रशिक्षण केन्द्र, भोपाल (म.प्र.)
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रशिक्षकों की चिन्तन बैठक केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री धनंजय कुमार सिंह जी के मार्ग दर्शन में दिनांक 4-5 दिसम्बर 2010 को अपेक्स बैंक प्रशिक्षण केन्द्र भोपाल में आयोजित की गयी। इस चिन्तन बैठक का मुख्य उद्देश्य दिनांक 19, 20 व 21 नवम्बर 2010 को रायपुर (छत्तीसगढ़) में सम्पन्न हुई प्रशिक्षण की समीक्षा करना, कमियों में सुधार करना तथा प्रशिक्षण की आगामी कार्य योजना तैयार करना था। छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षण की सी.डी. बनायी गयी थी जिसको प्रोजेक्टर के माध्यम से सभी प्रशिक्षकों को दिखाकर समीक्षा की गयी। सहकारिता के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से नई सहकारी समितियां बनाने, स्वरोजगार का अवसर बढ़ाने और जिला तथा मण्डल स्तर तक प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए कार्य योजना तैयार की गयी। 1, 2 दिसम्बर 2010 को दिल्ली में हुई केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ एवं सहकार भारती की संयुक्त चिंतन बैठक में बनायी गयी कार्ययोजना से सभी प्रशिक्षकों को अवगत् कराया गया। प्रशिक्षण के उद्देश्य को प्राप्त करने एवं उसे प्रभावी बनाने पर विशेष बल दिया गया।
माननीय श्री सुनील गुप्ता राष्ट्रीय, सह-संयोजक, केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ, श्रीमती जीना पोतसंगबम (मणीपुर), श्री राजेन्द्रन चेट्टियार (केरल, चण्डीगढ़) श्री सुनील जैन (गुजरात), श्रीमती रमा चतुर्वेदी (उत्तर प्रदेश), श्रीमती मंजू शर्मा (मध्य प्रदेश), अशोक बजाज, (प्रदेश संयोजक, सहकारिता प्रकोष्ठ छत्तीसगढ़), श्री शशिकांत द्विवेदी, अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक (छत्तीसगढ़) ने सहभागिता की।
दिनांक 05.12.2010 दोपहर 2.00 बजे बैठक सम्पन्न हुई।
Saturday, January 1, 2011
Central Cooperative Cell BJP & Sahakar Bharti Chintan Baithak Dec., 2010
चिन्तन बैठक
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ भाजपा एवं सहकार भारती
दिनांक 1 एवं 2 दिसम्बर 2010
स्थान - आई.पी. मोटल एवं रिसोर्ट्स, घेवरा मोड,
रोहतक रोड, दिल्ली-110041.
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ एवं सहकार भारती की समन्वय चिंतन बैठक माननीय रामलाल जी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के मार्गदर्शन में दिनांक 1, 2 दिसम्बर 2010 को दिल्ली में सम्पन्न हुई। सहकारिता के क्षेत्र में एक नयी ऊर्जा, भ्रष्टाचाररहित, सुशासित व्यवस्था का निर्माण, स्वरोजगार, स्वायत्त ग्राम, मध्य वर्ग - निम्न मध्य वर्ग के परिवारों का आर्थिक सामाजिक उद्धार हो जिसके माध्यम से भाजपा का जनाधार बढ़ सके तथा भाजपा अपनी छवि को गरीब उन्मुख पार्टी के रूप में प्रस्तुत करने में सफल हो सके इन उद्देश्यों के साथ निम्नलिखित विषयों पर चिन्तन बैठक की गयी।
1. सहकारिता में स्वायत्तता (अंतराष्ट्रीय अनुभव)
2. राज्य सहकारी कानूनों में स्वायत्तता पर रोक लगाने वाले अधिनियम
3. सहकारिता व्यापक जनाधार का माध्यम कैसे बने।
4. सहकारिता मंत्रीगण द्वारा उनके राज्यों में किये जा रहे प्रमुख कार्यो का वृत्त
5. आगामी कार्य योजना
6. मुक्त चिन्तन
इस दो दिवसीय चिन्तन बैठक को केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री धनंजय कुमार सिंह जी द्वारा संचालित किया गया। माननीय श्री रामलाल जी (राष्ट्रीय संगठन महामंत्री), माननीय श्री संतोष गंगवार जी (राष्ट्रीय सचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री), माननीय व सहकारिता क्षेत्र में कार्यरत भाजपा शासित प्रदेश के सहकारिता मंत्रीगण माननीय श्री गौरी शंकर बिसेन (मध्य प्रदेश) एवं माननीय श्री ननकी राम कॅवर (छत्तीसगढ़), माननीय श्री गिरीराज सिंह (पूर्व सहकारिता मंत्री, बिहार), माननीय श्री राजीव बिन्दल (स्वास्थ्य मंत्री, हिमाचल प्रदेश), माननीय श्री मुरारी लाल सिंह (लोकसभा सांसद, सरगुजा एवं अध्यक्ष वनउपज संघ, छत्तीसगढ़), माननीया श्रीमती भावना चिखलिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री), माननीय श्री राव साहेब दानवे पाटिल (सांसद), माननीय श्री हुकुमदेव नारायण यादव (सांसद, सदस्य एग्रीकल्चर स्टैंडिंग कमेटी), माननीय श्री सुनील गुप्ता (राष्ट्रीय सह-संयोजक, केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ), माननीया श्रीमती जीना पोतसंगबम (मणीपुर) एवं सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री सतीश मराठे जी, सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री माननीय श्री विजय देवांगन जी, अन्त्योदय के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री मनोहर लाल खट्टर ने इस चिन्तन बैठक में सहभागिता की।
चिंतन बैठक के प्रथम दिवस मंे माननीय श्री सतीश मराठे जी के द्वारा सहकारिता में स्वायत्तता (अर्न्तराष्ट्रीय अनुभव) जैसे जटिल विषयों को बड़े तन्मयता के साथ रखा गया। उन्होंने विभिन्न देशों में सहकारिता के क्षेत्र में चल रहे कामों पर प्रकाश डाला और भारत के संदर्भ में अन्य देशों के काम को कैसे प्रयोग में लाया जा सकता है इसका वर्णन किया। उन्होंने बताया कि 23 करोड़ से अधिक सदस्यताओं वाली 6.50 लाख सहकारी समितियां भारत में काम कर रही हैं। कृषि को केवल एक जीवनोपयोगी धंधा न मानकर इसका वाणिज्यीकरण करना चाहिए। इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वाणिज्य के अवसर को बढ़ाना चाहिए। उत्पादन, संभरण, विक्रय-विपणन के लिए सुपर बाजार जैसे व्यवस्था तैयार करना चाहिए। बढ़ता शहरीकरण और आबादी को देखते हुए Housing Cooperative Societies को बढ़ावा देना चाहिए। विदेशो में बिजली का वितरण सहकारिता समितियों के माध्यम से होता है उसे मॉडल बनाकर भारत में भी इसका प्रयोग करने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ भारत में सहकारिता के विकास के लिए सहकारी समितियों को पूर्ण स्वयत्तता देने में सरकार की अनिच्छा का भी वर्णन किया।
बिहार के संदर्भ में माननीय गिरिराज सिंह जी (पूर्व सहकारिता मंत्री जी) द्वारा बिहार में सहकारिता के क्षेत्र में किये गये कामों का वर्णन किया। बिहार में कानून संशोधन करके सभी को प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों का सदस्य बनने का अवसर दिया गया जिसके कारण 60 लाख नये सदस्य इन समितियों के सदस्य बन सके। ब्लाक स्तर पर बकरी प्रजनन केन्द्र बनाने और उच्च नस्ल की बकरियों को नक्सली प्रभावित क्षेत्र के लोगों को देकर स्वरोजगार बढ़ाने की योजना बनायी गयी है। इसके अलावा बिहार सरकार द्वारा अन्य किये जा रहे कार्यो पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
मध्य प्रदेश के संदर्भ में सहकारिता विभाग के मंत्री आदरणीय श्री गौरी शंकर बिसेन जी द्वारा मध्य प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में किये जा रहे कामों का उल्लेख किया। उन्होंने खेती को लाभ का धंधा बनाने की आवश्यकता बतायी। मध्य प्रदेशों में किसानों को धनराशि चैक से भुगतान करना प्रारम्भ किया गया, कपास को VAT से मुक्त किया गया और लघु वन उपज संघ के माध्यम से वन उपज खरीदना और लाभांश वितरित करने के अलावा वनवासी लोगों के बच्चों को scholarship के रूप में दिया जाता है। PDS 95% सहकारी समितियों के माध्यम से संचालित होती है। किसानों को दिये जाने वाले ऋण का ब्याज 14% से घटाकर 3% किया गया।
हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री माननीय श्री राजीव बिन्दल जी ने हिमाचल प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में आदरणीय मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल जी द्वारा किये जा रहे विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 15000 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं और सरकार द्वारा स्वरोजगार बढ़ाने के लिए Sanitary Napkin बनाने का काम इन SHG को दिया गया। दूध गंगा योजना के माध्यम से लम्बी अवधि का ऋण 10 गाय खरीदने, गोशाला बनाने के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति को 33% और सामान्य वर्ग को 25% अनुदान के साथ 82 करोड़ रूपया का ऋण बांटा गया। स्वामी रामदेव जी के साथ MOU Sign करके जड़ी बूटी उत्पादन के लिये सहकारी समितियां बनायी गयीं।
माननीय सहकारिता मंत्री (छत्तीसगढ़) श्री ननकी राम कॅवर जी ने सहकारिता के क्षेत्र में चलायी जा रही योजनाओं का वर्णन किया। छत्तीसगढ़ प्रदेश के सरगुजा लोकसभा सांसद माननीय श्री मुरारी लाल सिंह जी द्वारा वन उपज संघ जिसके वह चुने हुए अध्यक्ष भी हैं कहा कि लघुवन उपज संघ के अंतर्गत पंजीकृत 913 सहकारी समितियों के माध्यम से 12 लाख 60 हजार लोगों को पूरा 12 महीना काम दे रहे हैं जिससे उनको एक महीने में 2500 से 3000 हजार तक की आमदनी होती है। पिछले साल इस संघ द्वारा 94 करोड़ रूपया का मुनाफा कमाया गया। देश भर के नामी गिरामी मन्दिरों जैसे तिरूपति बालाजी मन्दिर को वन उपज से बनी कई उपयोगी वस्तुओं को आपूर्ति करने का वतकमत प्राप्त किया। समितियों के सदस्यों को 9वीं से लेकर 12वीं तक पढ़ने वाले बच्चों को हर तीन महीने में 300 रूपयों की छात्रवृत्ति (scholarship) संघ अदा करता है। समितियों के सदस्यों को मुत बीमा योजना के अंतर्गत बीमा की सालाना किश्त संघ के लाभांश से दिया जाता है। संघ के इन कामों की वजह से 12 लाख 60 हजार लोगों को काम मिल रहा है। जिससे नक्सलवाद और शहर की ओर पलायन रोकने में भी सफलता प्राप्त की गयी है।
निवेशक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री गोपाल अग्रवाल जी द्वारा ‘प्रत्यक्ष कर संहिता’ कानून लागू होने पर सहकारी समितियों पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला।
महाराष्ट्र के संदर्भ में माननीय श्री रावसाहेब दानवे पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र में ज्यादातर काम बैंकिंग और चीनी उत्पादन में होता है लेकिन मजदूर सहकारिता समितियों का गठन करना चाहिए क्योंकि कानून में 25 लाख रूपया तक के टैण्डर निविदा इन सहकारी समितियों को देने का ऐसा प्रावधान है। गुजरात में दूध के क्षेत्र में सराहनीय कार्य चल रहा है।
प्रथम दिवस के अन्तिम सत्र में माननीय रामलाल जी ने अपने मार्ग दर्शन में कहा कि हमको आयाम निश्चित करके काम करने की और अध्ययन की आदत डालने की जरूरत है। इसके अलावा सहकार भारती और सहकारिता प्रकोष्ठ 6 महीने में एक बैठक करने, सहकारी समितियों में चुनाव की रणनीति तैयार करने, चुनकर आये सहकारी समितियों के संचालकों, अध्यक्षों और पदाधिकारियों के माध्यम से भाजपा का जनाधार बढ़ाने, संचालन में गुणवत्ता, सुशासन बढ़ाने के लिए कैसे काम कर सकते हैं, इस पर जोर देने की आवश्यकता बतायी। सहकारिता प्रकोष्ठ से जुड़े लोगों के अलावा अन्य कार्यकर्ताओं को भी सहकारिता के क्षेत्र में रूचि बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए और सामूहिक सम्मेलन करने को कहा। भाजपा को सहकारिता के माध्यम से गाँव गरीब पहचान वाली पार्टी बनाने और इस क्षेत्र से सम्बन्धित मुद्दो को सांसद और विधान सभा में उठाने को कहा गया। Christian और Muslim लोगों के बीच में सहकारिता के माध्यम से पहुँचना चाहिए। काम में शामिल करके चलने की आवश्यकता है। किसी प्रान्त-जिला अथवा ग्राम समूह तय करके मॉडल बनाना चाहिए। प्रबन्ध तंत्र व्यवसायिक आधार पर कैसे बनाया जाए इस के लिए नीति तैयार करनी चाहिए।
द्वितीय दिवस के शुरूआत में माननीय विजय देवांगन जी ने कहा की समाज के अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को तैयार करना चाहिए, विभिन्न प्रकोष्ठों का जिला स्तर का सम्मेलन और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के बीच में पहुंचने की प्रक्रिया शुरू करना चाहिए। विभिन्न विषयों पर धरना, प्रदर्शन करने की भी जरूरत उन्होंने बतायी। सहकारी समितियों को सिटिंग भत्ता मिलनी चाहिए। विकसित शहरों में रह रहे ख्यात-विख्यात व्यक्तियों को शामिल करके बैठके करना चाहिए। पूरे देश भर में ‘सहकारिता यात्रा’ निकालना चाहिए। उन्होंने रचनात्मक कार्यक्रम और स्वयं सहायता समूह को पूरे देश भर में प्रचलित करने की आवश्यकता बताया।
आगामी कार्य योजना के अर्न्तगत् माननीय विजय देवांगन जी ने कहा की संस्था चलाने की जिम्मेदारी सहकार भारती के कार्यकर्ताओं को देनी चाहिए। फरवरी-मार्च के महीने में दिल्ली में सहकार क्षेत्र के 4.5 लाख लोगों का मिलकर जन-आन्दोलन करने, दिसम्बर महीने में प्रदेश स्तर पर व्यापक बैठक और जनवरी महीने में जिला स्तर पर बैठक करने की योजना बनानी चाहिए। प्रदेश स्तर पर सहकारिता प्रकोष्ठ और सहकार भारती के बीच में एक समन्वय समिति बनाने की आवश्यकता बतायी।
माननीय संतोष गंगवार जी ने विकसित देशों के कॉपरेटिव मॉडल को समझने और उस प्रकार भारत में कार्य योजना बनाकर काम करने की बात कही।।
अन्त्योदय के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री मनोहर लाल खट्टर जी ने सहकारिता प्रकोष्ठ और सहकार भारती के काम को अन्त्योदय के रीढ़ की हड्डी बताया। सहकारिता क्षेत्र मजबूत बनने पर समाज के सभी वर्गो को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा।
आदरणीय श्रीमती भावना चिखलिया जी ने स्लम, झुग्गी-झोपड़ी में सहकारिता का विस्तार करने की आवश्यकता बतायी। माननीय श्री अशोक डबास, दिल्ली प्रदेश संयोजक, सहकारिता प्रकोष्ठ ने Multi State Cooperative Society Amendment Bill पर चर्चा की।
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-संयोजक माननीय श्री सुनील गुप्ता जी ने कहा कि वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू होने पर ठीक प्रकार से काम ना करने वाले PACS को समाप्त करने से किसानों के पास कोई विकल्प या सहकारी संस्था नही होने से वे निजी व्यक्तियों के हाथ में चले जायेंगे। इसका विकल्प यह है कि राज्यों में स्वायत्ता Cooperative एक्ट लागू करके उसके अंतर्गत सोसाईटियों को PACS के विकल्प के तौर पर पंजीयत कराया जाय।
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री धनंजय कुमार सिंह जी द्वारा कार्य योजनाओं को बैठक में रखा गया। उन्होंने पूरे देश को तीन भागों में बाँटकर योजना तैयार की जैसे कि - (1) सहकारिता के क्षेत्र में विकसित प्रदेश -
(1) गुजरात, (2) हरियाणा, (3) कनार्टक, (4) केरल (5) महाराष्ट्र, (6) पँजाब,
(7) तमिलनाडू (8) दिल्ली (9) दमन एण्ड द्वीव (10) दादर नगर हवेली (11) पुडुचेरी
(2) अविकसित सहकारिता क्षेत्र वाले प्रदेश -
(1) आन्ध्र प्रदेश (2) छत्तीसगढ़ (3) गोवा (4) हिमाचल प्रदेश (5) मध्य प्रदेश (6) उडीसा (7) राजस्थान (8) उत्तर प्रदेश (9) उत्तराखण्ड (10) अण्डमान एण्ड निकोबार (11) लक्ष्यद्वीप
(3) अत्यन्त अविकसित सहकारी क्षेत्र वाले प्रदेशों -
(1) अरूणाचल प्रदेश (2) असम (3) बिहार (4) झारखण्ड (5) जम्मू एण्ड कश्मीर (6) मणीपुर (7) मिजोरम (8) नागालैण्ड (9) सिक्कम (10) त्रिपुरा
इसके अलावा भाजपा द्वारा शासित प्रदेशों के लिए जैसे गुजरात, छत्तीसगढ़, कनार्टक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड और एनडीए द्वारा शासित प्रदेशों जैसे बिहार, पंजाब और झारखण्ड के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण की आवश्यकता बनायी।
सहकारी समितियों के चुनाव के सम्बन्ध में, प्राथमिक सहकारी समितियों से चुनाव की तैयारी, जिले स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के फेडरेशनों के लिए डेलिगेटस तैयार करने और वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर भाजपा शासित राज्यों में आन्तोदय के कार्य किया जाना चाहिए जिससे जनाधार बढ़े। उन्होंने वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर गैर भाजपा शासित राज्यों में सिफारिशों के कारण हुए एक्ट में संशोधन को लागू करवाने के लिए आन्दोलन की जरूरत बतायी। PACS/LAMPS की रैगुलर मासिक बैठक हो। सामान्य निकायों की बैठके BYE-LAWS के अनुरूप हो और इनका खाता राष्ट्रीकृत बैंक में खुलना चाहिए। जिला सहकारी बैंको का भ्रमणात्मक प्रशिक्षण हो इन सब कार्यो से PACS/LAMPS पर पकड़ मजबूत होगी जिससे राज्य-देश स्तर के फेडरेशनों के चुनावों में हमें सफलता मिलेगी।
प्रशिक्षण के उद्देश्य से 15-20 लोगों का एक चिंतन शिविर लगाने की भी कार्य योजना बनायी। थ्रिट एवं क्रेडिट समितियों, दुग्ध, मत्स्य-पालन, पोलट्री, हैण्डलूम, कवायर, सेरिकल्चर, होल्टीकल्चर, आर्युवेदिक जड़ी बूटियों की समितियां, ट्राइबल एरिया में वन उपज की समितियों को बढ़ावा देने और स्वयं सहायता समूह बनाने की योजना प्रस्तुत की।
सभी भाजपा शासित प्रदेशों में प्रदूषण और पर्यावरण की दृष्टि से प्लास्टिक का प्रयोग रोकने के लिए प्रभावी कार्यक्रम के रूप में जुट, कागज एवं मिट्टी की बनी चीजों में खाने-पीने एवं पैकिंग के रूप में उपयोग में लाया जाए, जिससे गरीबों को रोजगार मिलेगा इसके लिए सहकारी समितियां एवं फैडरेशन इनको प्रोत्साहित करने के लिए कार्य करें और उनके उत्पादन का बाजार उपलब्ध करायें। यह कार्य एनडीए एवं गैरशासित राज्यों में भी चलाये जाने के लिये विशेष बल देने की आवश्यकता है जिससे भाजपा का जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन सब कार्यो को करने के लिए मण्डल स्तर तक संयोजकों की नियुक्ति प्रभावी रूप से सभी प्रदेशों में की जानी चाहिए एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। सहकारिता के लिए जन-जागरूकता की अति आवश्यकता है। यह कार्यक्रम प्रशिक्षण के साथ चलाना चाहिए।
लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के सम्बन्ध में पूरे देश में सभी प्रदेशों में आने वाले चुनावों के लिए हम तैयारी करें और उन विधान सभाओं को चिहिृत करके जिनमें 5000 हजार वोटों तक हम पीछे रहे हैं वहां सहकारिता का ‘विशेष अभियान’ चलाऐंगे जिससे उनमें आगे जीत हासिल हो। इसके लिए संगठन की मुख्य धारा का भरपूर सहयोग लेना पड़ेगा।
सहकार भारती के साथ समन्वन करके जहां भी कार्यकर्ता सक्रिय हो आपस में तालमेल बनाएं, चुनावों में सहकार भारती एवं सहकारिता प्रकोष्ठ में आपस में टकराव न हो इसके लिए विचार करना होगा और नीति निर्धारित करने की आवश्यकता बतायी। नैशनल फैडरेशन्स में कार्य कर रहे कार्यकर्ता (अध्यक्ष/निदेशक) वहां की कार्यवाही से संगठन को अवगत् कराऐं।
द्वितीय दिवस के अन्तिम सत्र में माननीय बजरंग लाल जी ने अपने मार्ग दर्शन में इस प्रकार कार्य तैयार करने को कहा जिससे सहकारिता प्रकोष्ठ और सहकार भारती दोनो का काम करने की सीमा रेखाओं का उल्लंधन न हो। दोनो के बीच में ‘करने वाली’ और ‘नही करने वाली’ बाते स्पष्ट करके एक स्तर पर समानता बनाना है। सहकारिता के क्षेत्र में एक विकल्प मॉडल देना चाहिए। Identify करें कि विकल्प में रचनात्मक दोष न आये। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों में ethics, code of conduct हो और एक नये आर्थिक विकास के लिए सहकारिता कैसे काम कर सकता है, इसके लिए रूप रेखा तैयार करें।
व्यवहारिक, concrete कार्य योजना अलग-अलग शहरी रचना और ग्रामीण रचना को समझकर कार्य योजना बनाना चाहिए। पशुधन के क्षेत्र में जाने का प्रयास करना चाहिए, SC/ST के क्षेत्र में और ज्तपइंस क्षेत्र में ध्यान देना चाहिए। महिलाओं के क्षेत्र में SHG बनाकर परिवार के साथ-साथ उनकी आय का साधन बनाना चाहिए। हथकरघा, शिल्पकार लोगों के बीच में काम करने का योजना बनाना चाहिए। अन्त्योदय सहकारिता के माध्यम से ही होगा। वैचारिक अधिष्ठान और एकात्मक मानववाद का जरूर उल्लेख करना चाहिए। सहकारी समितियों द्वारा अस्पताल और मकानों को बनाने की जरूरत बनायी।
सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सतीश मराठे जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस प्रकार केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ भाजपा एवं सहकार भारती की दो दिवसीय समन्वय चिन्तन बैठक पूर्ण हुई।
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ भाजपा एवं सहकार भारती
दिनांक 1 एवं 2 दिसम्बर 2010
स्थान - आई.पी. मोटल एवं रिसोर्ट्स, घेवरा मोड,
रोहतक रोड, दिल्ली-110041.
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ एवं सहकार भारती की समन्वय चिंतन बैठक माननीय रामलाल जी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के मार्गदर्शन में दिनांक 1, 2 दिसम्बर 2010 को दिल्ली में सम्पन्न हुई। सहकारिता के क्षेत्र में एक नयी ऊर्जा, भ्रष्टाचाररहित, सुशासित व्यवस्था का निर्माण, स्वरोजगार, स्वायत्त ग्राम, मध्य वर्ग - निम्न मध्य वर्ग के परिवारों का आर्थिक सामाजिक उद्धार हो जिसके माध्यम से भाजपा का जनाधार बढ़ सके तथा भाजपा अपनी छवि को गरीब उन्मुख पार्टी के रूप में प्रस्तुत करने में सफल हो सके इन उद्देश्यों के साथ निम्नलिखित विषयों पर चिन्तन बैठक की गयी।
1. सहकारिता में स्वायत्तता (अंतराष्ट्रीय अनुभव)
2. राज्य सहकारी कानूनों में स्वायत्तता पर रोक लगाने वाले अधिनियम
3. सहकारिता व्यापक जनाधार का माध्यम कैसे बने।
4. सहकारिता मंत्रीगण द्वारा उनके राज्यों में किये जा रहे प्रमुख कार्यो का वृत्त
5. आगामी कार्य योजना
6. मुक्त चिन्तन
इस दो दिवसीय चिन्तन बैठक को केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री धनंजय कुमार सिंह जी द्वारा संचालित किया गया। माननीय श्री रामलाल जी (राष्ट्रीय संगठन महामंत्री), माननीय श्री संतोष गंगवार जी (राष्ट्रीय सचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री), माननीय व सहकारिता क्षेत्र में कार्यरत भाजपा शासित प्रदेश के सहकारिता मंत्रीगण माननीय श्री गौरी शंकर बिसेन (मध्य प्रदेश) एवं माननीय श्री ननकी राम कॅवर (छत्तीसगढ़), माननीय श्री गिरीराज सिंह (पूर्व सहकारिता मंत्री, बिहार), माननीय श्री राजीव बिन्दल (स्वास्थ्य मंत्री, हिमाचल प्रदेश), माननीय श्री मुरारी लाल सिंह (लोकसभा सांसद, सरगुजा एवं अध्यक्ष वनउपज संघ, छत्तीसगढ़), माननीया श्रीमती भावना चिखलिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री), माननीय श्री राव साहेब दानवे पाटिल (सांसद), माननीय श्री हुकुमदेव नारायण यादव (सांसद, सदस्य एग्रीकल्चर स्टैंडिंग कमेटी), माननीय श्री सुनील गुप्ता (राष्ट्रीय सह-संयोजक, केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ), माननीया श्रीमती जीना पोतसंगबम (मणीपुर) एवं सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री सतीश मराठे जी, सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री माननीय श्री विजय देवांगन जी, अन्त्योदय के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री मनोहर लाल खट्टर ने इस चिन्तन बैठक में सहभागिता की।
चिंतन बैठक के प्रथम दिवस मंे माननीय श्री सतीश मराठे जी के द्वारा सहकारिता में स्वायत्तता (अर्न्तराष्ट्रीय अनुभव) जैसे जटिल विषयों को बड़े तन्मयता के साथ रखा गया। उन्होंने विभिन्न देशों में सहकारिता के क्षेत्र में चल रहे कामों पर प्रकाश डाला और भारत के संदर्भ में अन्य देशों के काम को कैसे प्रयोग में लाया जा सकता है इसका वर्णन किया। उन्होंने बताया कि 23 करोड़ से अधिक सदस्यताओं वाली 6.50 लाख सहकारी समितियां भारत में काम कर रही हैं। कृषि को केवल एक जीवनोपयोगी धंधा न मानकर इसका वाणिज्यीकरण करना चाहिए। इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वाणिज्य के अवसर को बढ़ाना चाहिए। उत्पादन, संभरण, विक्रय-विपणन के लिए सुपर बाजार जैसे व्यवस्था तैयार करना चाहिए। बढ़ता शहरीकरण और आबादी को देखते हुए Housing Cooperative Societies को बढ़ावा देना चाहिए। विदेशो में बिजली का वितरण सहकारिता समितियों के माध्यम से होता है उसे मॉडल बनाकर भारत में भी इसका प्रयोग करने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ भारत में सहकारिता के विकास के लिए सहकारी समितियों को पूर्ण स्वयत्तता देने में सरकार की अनिच्छा का भी वर्णन किया।
बिहार के संदर्भ में माननीय गिरिराज सिंह जी (पूर्व सहकारिता मंत्री जी) द्वारा बिहार में सहकारिता के क्षेत्र में किये गये कामों का वर्णन किया। बिहार में कानून संशोधन करके सभी को प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों का सदस्य बनने का अवसर दिया गया जिसके कारण 60 लाख नये सदस्य इन समितियों के सदस्य बन सके। ब्लाक स्तर पर बकरी प्रजनन केन्द्र बनाने और उच्च नस्ल की बकरियों को नक्सली प्रभावित क्षेत्र के लोगों को देकर स्वरोजगार बढ़ाने की योजना बनायी गयी है। इसके अलावा बिहार सरकार द्वारा अन्य किये जा रहे कार्यो पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
मध्य प्रदेश के संदर्भ में सहकारिता विभाग के मंत्री आदरणीय श्री गौरी शंकर बिसेन जी द्वारा मध्य प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में किये जा रहे कामों का उल्लेख किया। उन्होंने खेती को लाभ का धंधा बनाने की आवश्यकता बतायी। मध्य प्रदेशों में किसानों को धनराशि चैक से भुगतान करना प्रारम्भ किया गया, कपास को VAT से मुक्त किया गया और लघु वन उपज संघ के माध्यम से वन उपज खरीदना और लाभांश वितरित करने के अलावा वनवासी लोगों के बच्चों को scholarship के रूप में दिया जाता है। PDS 95% सहकारी समितियों के माध्यम से संचालित होती है। किसानों को दिये जाने वाले ऋण का ब्याज 14% से घटाकर 3% किया गया।
हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री माननीय श्री राजीव बिन्दल जी ने हिमाचल प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में आदरणीय मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल जी द्वारा किये जा रहे विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 15000 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं और सरकार द्वारा स्वरोजगार बढ़ाने के लिए Sanitary Napkin बनाने का काम इन SHG को दिया गया। दूध गंगा योजना के माध्यम से लम्बी अवधि का ऋण 10 गाय खरीदने, गोशाला बनाने के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति को 33% और सामान्य वर्ग को 25% अनुदान के साथ 82 करोड़ रूपया का ऋण बांटा गया। स्वामी रामदेव जी के साथ MOU Sign करके जड़ी बूटी उत्पादन के लिये सहकारी समितियां बनायी गयीं।
माननीय सहकारिता मंत्री (छत्तीसगढ़) श्री ननकी राम कॅवर जी ने सहकारिता के क्षेत्र में चलायी जा रही योजनाओं का वर्णन किया। छत्तीसगढ़ प्रदेश के सरगुजा लोकसभा सांसद माननीय श्री मुरारी लाल सिंह जी द्वारा वन उपज संघ जिसके वह चुने हुए अध्यक्ष भी हैं कहा कि लघुवन उपज संघ के अंतर्गत पंजीकृत 913 सहकारी समितियों के माध्यम से 12 लाख 60 हजार लोगों को पूरा 12 महीना काम दे रहे हैं जिससे उनको एक महीने में 2500 से 3000 हजार तक की आमदनी होती है। पिछले साल इस संघ द्वारा 94 करोड़ रूपया का मुनाफा कमाया गया। देश भर के नामी गिरामी मन्दिरों जैसे तिरूपति बालाजी मन्दिर को वन उपज से बनी कई उपयोगी वस्तुओं को आपूर्ति करने का वतकमत प्राप्त किया। समितियों के सदस्यों को 9वीं से लेकर 12वीं तक पढ़ने वाले बच्चों को हर तीन महीने में 300 रूपयों की छात्रवृत्ति (scholarship) संघ अदा करता है। समितियों के सदस्यों को मुत बीमा योजना के अंतर्गत बीमा की सालाना किश्त संघ के लाभांश से दिया जाता है। संघ के इन कामों की वजह से 12 लाख 60 हजार लोगों को काम मिल रहा है। जिससे नक्सलवाद और शहर की ओर पलायन रोकने में भी सफलता प्राप्त की गयी है।
निवेशक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री गोपाल अग्रवाल जी द्वारा ‘प्रत्यक्ष कर संहिता’ कानून लागू होने पर सहकारी समितियों पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला।
महाराष्ट्र के संदर्भ में माननीय श्री रावसाहेब दानवे पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र में ज्यादातर काम बैंकिंग और चीनी उत्पादन में होता है लेकिन मजदूर सहकारिता समितियों का गठन करना चाहिए क्योंकि कानून में 25 लाख रूपया तक के टैण्डर निविदा इन सहकारी समितियों को देने का ऐसा प्रावधान है। गुजरात में दूध के क्षेत्र में सराहनीय कार्य चल रहा है।
प्रथम दिवस के अन्तिम सत्र में माननीय रामलाल जी ने अपने मार्ग दर्शन में कहा कि हमको आयाम निश्चित करके काम करने की और अध्ययन की आदत डालने की जरूरत है। इसके अलावा सहकार भारती और सहकारिता प्रकोष्ठ 6 महीने में एक बैठक करने, सहकारी समितियों में चुनाव की रणनीति तैयार करने, चुनकर आये सहकारी समितियों के संचालकों, अध्यक्षों और पदाधिकारियों के माध्यम से भाजपा का जनाधार बढ़ाने, संचालन में गुणवत्ता, सुशासन बढ़ाने के लिए कैसे काम कर सकते हैं, इस पर जोर देने की आवश्यकता बतायी। सहकारिता प्रकोष्ठ से जुड़े लोगों के अलावा अन्य कार्यकर्ताओं को भी सहकारिता के क्षेत्र में रूचि बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए और सामूहिक सम्मेलन करने को कहा। भाजपा को सहकारिता के माध्यम से गाँव गरीब पहचान वाली पार्टी बनाने और इस क्षेत्र से सम्बन्धित मुद्दो को सांसद और विधान सभा में उठाने को कहा गया। Christian और Muslim लोगों के बीच में सहकारिता के माध्यम से पहुँचना चाहिए। काम में शामिल करके चलने की आवश्यकता है। किसी प्रान्त-जिला अथवा ग्राम समूह तय करके मॉडल बनाना चाहिए। प्रबन्ध तंत्र व्यवसायिक आधार पर कैसे बनाया जाए इस के लिए नीति तैयार करनी चाहिए।
द्वितीय दिवस के शुरूआत में माननीय विजय देवांगन जी ने कहा की समाज के अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को तैयार करना चाहिए, विभिन्न प्रकोष्ठों का जिला स्तर का सम्मेलन और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के बीच में पहुंचने की प्रक्रिया शुरू करना चाहिए। विभिन्न विषयों पर धरना, प्रदर्शन करने की भी जरूरत उन्होंने बतायी। सहकारी समितियों को सिटिंग भत्ता मिलनी चाहिए। विकसित शहरों में रह रहे ख्यात-विख्यात व्यक्तियों को शामिल करके बैठके करना चाहिए। पूरे देश भर में ‘सहकारिता यात्रा’ निकालना चाहिए। उन्होंने रचनात्मक कार्यक्रम और स्वयं सहायता समूह को पूरे देश भर में प्रचलित करने की आवश्यकता बताया।
आगामी कार्य योजना के अर्न्तगत् माननीय विजय देवांगन जी ने कहा की संस्था चलाने की जिम्मेदारी सहकार भारती के कार्यकर्ताओं को देनी चाहिए। फरवरी-मार्च के महीने में दिल्ली में सहकार क्षेत्र के 4.5 लाख लोगों का मिलकर जन-आन्दोलन करने, दिसम्बर महीने में प्रदेश स्तर पर व्यापक बैठक और जनवरी महीने में जिला स्तर पर बैठक करने की योजना बनानी चाहिए। प्रदेश स्तर पर सहकारिता प्रकोष्ठ और सहकार भारती के बीच में एक समन्वय समिति बनाने की आवश्यकता बतायी।
माननीय संतोष गंगवार जी ने विकसित देशों के कॉपरेटिव मॉडल को समझने और उस प्रकार भारत में कार्य योजना बनाकर काम करने की बात कही।।
अन्त्योदय के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री मनोहर लाल खट्टर जी ने सहकारिता प्रकोष्ठ और सहकार भारती के काम को अन्त्योदय के रीढ़ की हड्डी बताया। सहकारिता क्षेत्र मजबूत बनने पर समाज के सभी वर्गो को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा।
आदरणीय श्रीमती भावना चिखलिया जी ने स्लम, झुग्गी-झोपड़ी में सहकारिता का विस्तार करने की आवश्यकता बतायी। माननीय श्री अशोक डबास, दिल्ली प्रदेश संयोजक, सहकारिता प्रकोष्ठ ने Multi State Cooperative Society Amendment Bill पर चर्चा की।
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-संयोजक माननीय श्री सुनील गुप्ता जी ने कहा कि वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू होने पर ठीक प्रकार से काम ना करने वाले PACS को समाप्त करने से किसानों के पास कोई विकल्प या सहकारी संस्था नही होने से वे निजी व्यक्तियों के हाथ में चले जायेंगे। इसका विकल्प यह है कि राज्यों में स्वायत्ता Cooperative एक्ट लागू करके उसके अंतर्गत सोसाईटियों को PACS के विकल्प के तौर पर पंजीयत कराया जाय।
केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री धनंजय कुमार सिंह जी द्वारा कार्य योजनाओं को बैठक में रखा गया। उन्होंने पूरे देश को तीन भागों में बाँटकर योजना तैयार की जैसे कि - (1) सहकारिता के क्षेत्र में विकसित प्रदेश -
(1) गुजरात, (2) हरियाणा, (3) कनार्टक, (4) केरल (5) महाराष्ट्र, (6) पँजाब,
(7) तमिलनाडू (8) दिल्ली (9) दमन एण्ड द्वीव (10) दादर नगर हवेली (11) पुडुचेरी
(2) अविकसित सहकारिता क्षेत्र वाले प्रदेश -
(1) आन्ध्र प्रदेश (2) छत्तीसगढ़ (3) गोवा (4) हिमाचल प्रदेश (5) मध्य प्रदेश (6) उडीसा (7) राजस्थान (8) उत्तर प्रदेश (9) उत्तराखण्ड (10) अण्डमान एण्ड निकोबार (11) लक्ष्यद्वीप
(3) अत्यन्त अविकसित सहकारी क्षेत्र वाले प्रदेशों -
(1) अरूणाचल प्रदेश (2) असम (3) बिहार (4) झारखण्ड (5) जम्मू एण्ड कश्मीर (6) मणीपुर (7) मिजोरम (8) नागालैण्ड (9) सिक्कम (10) त्रिपुरा
इसके अलावा भाजपा द्वारा शासित प्रदेशों के लिए जैसे गुजरात, छत्तीसगढ़, कनार्टक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड और एनडीए द्वारा शासित प्रदेशों जैसे बिहार, पंजाब और झारखण्ड के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण की आवश्यकता बनायी।
सहकारी समितियों के चुनाव के सम्बन्ध में, प्राथमिक सहकारी समितियों से चुनाव की तैयारी, जिले स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के फेडरेशनों के लिए डेलिगेटस तैयार करने और वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर भाजपा शासित राज्यों में आन्तोदय के कार्य किया जाना चाहिए जिससे जनाधार बढ़े। उन्होंने वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर गैर भाजपा शासित राज्यों में सिफारिशों के कारण हुए एक्ट में संशोधन को लागू करवाने के लिए आन्दोलन की जरूरत बतायी। PACS/LAMPS की रैगुलर मासिक बैठक हो। सामान्य निकायों की बैठके BYE-LAWS के अनुरूप हो और इनका खाता राष्ट्रीकृत बैंक में खुलना चाहिए। जिला सहकारी बैंको का भ्रमणात्मक प्रशिक्षण हो इन सब कार्यो से PACS/LAMPS पर पकड़ मजबूत होगी जिससे राज्य-देश स्तर के फेडरेशनों के चुनावों में हमें सफलता मिलेगी।
प्रशिक्षण के उद्देश्य से 15-20 लोगों का एक चिंतन शिविर लगाने की भी कार्य योजना बनायी। थ्रिट एवं क्रेडिट समितियों, दुग्ध, मत्स्य-पालन, पोलट्री, हैण्डलूम, कवायर, सेरिकल्चर, होल्टीकल्चर, आर्युवेदिक जड़ी बूटियों की समितियां, ट्राइबल एरिया में वन उपज की समितियों को बढ़ावा देने और स्वयं सहायता समूह बनाने की योजना प्रस्तुत की।
सभी भाजपा शासित प्रदेशों में प्रदूषण और पर्यावरण की दृष्टि से प्लास्टिक का प्रयोग रोकने के लिए प्रभावी कार्यक्रम के रूप में जुट, कागज एवं मिट्टी की बनी चीजों में खाने-पीने एवं पैकिंग के रूप में उपयोग में लाया जाए, जिससे गरीबों को रोजगार मिलेगा इसके लिए सहकारी समितियां एवं फैडरेशन इनको प्रोत्साहित करने के लिए कार्य करें और उनके उत्पादन का बाजार उपलब्ध करायें। यह कार्य एनडीए एवं गैरशासित राज्यों में भी चलाये जाने के लिये विशेष बल देने की आवश्यकता है जिससे भाजपा का जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन सब कार्यो को करने के लिए मण्डल स्तर तक संयोजकों की नियुक्ति प्रभावी रूप से सभी प्रदेशों में की जानी चाहिए एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। सहकारिता के लिए जन-जागरूकता की अति आवश्यकता है। यह कार्यक्रम प्रशिक्षण के साथ चलाना चाहिए।
लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के सम्बन्ध में पूरे देश में सभी प्रदेशों में आने वाले चुनावों के लिए हम तैयारी करें और उन विधान सभाओं को चिहिृत करके जिनमें 5000 हजार वोटों तक हम पीछे रहे हैं वहां सहकारिता का ‘विशेष अभियान’ चलाऐंगे जिससे उनमें आगे जीत हासिल हो। इसके लिए संगठन की मुख्य धारा का भरपूर सहयोग लेना पड़ेगा।
सहकार भारती के साथ समन्वन करके जहां भी कार्यकर्ता सक्रिय हो आपस में तालमेल बनाएं, चुनावों में सहकार भारती एवं सहकारिता प्रकोष्ठ में आपस में टकराव न हो इसके लिए विचार करना होगा और नीति निर्धारित करने की आवश्यकता बतायी। नैशनल फैडरेशन्स में कार्य कर रहे कार्यकर्ता (अध्यक्ष/निदेशक) वहां की कार्यवाही से संगठन को अवगत् कराऐं।
द्वितीय दिवस के अन्तिम सत्र में माननीय बजरंग लाल जी ने अपने मार्ग दर्शन में इस प्रकार कार्य तैयार करने को कहा जिससे सहकारिता प्रकोष्ठ और सहकार भारती दोनो का काम करने की सीमा रेखाओं का उल्लंधन न हो। दोनो के बीच में ‘करने वाली’ और ‘नही करने वाली’ बाते स्पष्ट करके एक स्तर पर समानता बनाना है। सहकारिता के क्षेत्र में एक विकल्प मॉडल देना चाहिए। Identify करें कि विकल्प में रचनात्मक दोष न आये। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों में ethics, code of conduct हो और एक नये आर्थिक विकास के लिए सहकारिता कैसे काम कर सकता है, इसके लिए रूप रेखा तैयार करें।
व्यवहारिक, concrete कार्य योजना अलग-अलग शहरी रचना और ग्रामीण रचना को समझकर कार्य योजना बनाना चाहिए। पशुधन के क्षेत्र में जाने का प्रयास करना चाहिए, SC/ST के क्षेत्र में और ज्तपइंस क्षेत्र में ध्यान देना चाहिए। महिलाओं के क्षेत्र में SHG बनाकर परिवार के साथ-साथ उनकी आय का साधन बनाना चाहिए। हथकरघा, शिल्पकार लोगों के बीच में काम करने का योजना बनाना चाहिए। अन्त्योदय सहकारिता के माध्यम से ही होगा। वैचारिक अधिष्ठान और एकात्मक मानववाद का जरूर उल्लेख करना चाहिए। सहकारी समितियों द्वारा अस्पताल और मकानों को बनाने की जरूरत बनायी।
सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सतीश मराठे जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस प्रकार केंद्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ भाजपा एवं सहकार भारती की दो दिवसीय समन्वय चिन्तन बैठक पूर्ण हुई।
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